Ventricular Septal Defect: अगर आपके बच्चे के दिल में है छेद, तो हो जाइए सावधान !

Ventricular Septal Defect: हमने अपने अपने आस-पास के किसी न किसी बच्चे के दिल में छेद होने की समस्या के बारे में जरूर सुना होगा। ये दिक्कत दुनियाभर में अब एक आम समस्या बन गई है। ये समस्या बच्चों में ज्यादा देखी जा रही है। अगर बात करें वैश्विक आंकड़ों की तो पता चलता है कि दिल से संबंधित बीमारियों का खतरा सभी उम्र के लोगों में तेजी से बढ़ता जा रहा है, जिसमें बच्चें भी शामिल है। जन्म से दिल में छेद होने की समस्या से भविष्य में कई प्रकार की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। जिसको लेकर हेल्थ एक्सपर्ट भी लोगों के अलर्ट करते हैं।

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डॉक्टर के अनुसार देश में हर घंटे करीब चार बच्चे जन्म दिल में छेद की समस्या के साथ पैदा हो रहे हैं। आगे चलकर ये दिक्कत स्वास्थ्य क्षेत्र पर दबाव बढ़ाने वाली समस्या हो सकती है। जिन बच्चों को ये समस्या जन्म से ही होती है डॉक्टर के अनुसार उन्हें विशेष इलाज की जरुरत होती है।

आखिर क्यों होती है ये समस्या ?

मेडिकल की भाषा में दिल में छेद होने को वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (VSD) के नाम से जाना जाता है। इस समस्या में दिल के लोवर चैंबर के बीच असामान्य रूप से ओपनिंग (सामान्य बोलचाल की भाषा में छेद) हो जाती है। शिशुओं में यह सबसे आम हृदय दोष है। वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट के कारण ऑक्सीजन युक्त रक्त का संचार शरीर के बाकी हिस्सों में होने के साथ छेद के कारण फेफड़ों में भी वापस आने लगता है। कई बार छोटे आकार के छेद की समस्या अपने आप ठीक हो जाती हैं। हालांकि अगर इसका आकार बड़ा है और इसके कारण गंभीर समस्याएं होने लगे तो डॉक्टर सर्जरी करने की सलाह ही देते हैं।

बता दें कि चिकित्सकों के अनुसार दिल में छेद की समस्या गर्भावस्था से ही हो जाती है। बच्चे का दिल विकसित होने के समय जब हार्ट को बाएं और दाएं हिस्सों में बांटने वाली मांसपेशियां पूरी तरह से नहीं बन पाती हैं, तो इसके कारण स्वाभाविक रूप से एक गैप बन जाता है। इस गैप या छेद का आकार अलग-अलग हो सकता है। हालांकि इस समस्या के होने के सटीक कारण नहीं है। लेकिन वहीं कुछ स्टडी से पता लगा कि कुछ जैनेटिक और पर्यावरणीय कारक भी इस समस्या के होने के कारण बन जाती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार VSD के कारण कई बार हार्ट अटैक और हृदय से संबंधित कुछ अन्य प्रकार की दिक्कतों को खतरा हो सकता है।

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आइए जानते हैं दिल में छेद होने के लक्षण ?
डॉक्टरों का कहना है कि जन्मजात हृदय दोष के लक्षण आमतौर पर जन्म के पहले कुछ हफ्तों या महीनों के दौरान ही दिखाई दे जाते हैं, इसलिए बच्चे के जन्म के बाद एक बार बच्चों के हार्ट की जांच जरूर करानी चाहिए। इस रोग के लक्षण कुछ ऐसे है-

1. तेजी से सांस लेना या सांस फूलना
2.घरघराहट की आवाज आना, स्टेथोस्कोप से ये समस्या और स्पष्ट होती है।
3.हार्ट बीट बहुत ज्यादा या कम होना।
4.अक्सर थकान या कमजोरी महसूस होते रहना।

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किन लोगों के लिए ये बीमारी बन सकती है खतरा ?
वैसे तो दिल में छेद होने का खतरा किसी भी बच्चे को हो सकता है लेकिन कुछ ऐसे बच्चें भी है जिनके लिए ये खतरा साबित हो सकती है। जिन बच्चों का जन्म समय से पहले हो जाता है उनमें VSD होने का जोखिम भी अधिक देखा जाता रहा है। इसलिए जरूरी हो जाता है कि बच्चे की एक बार अच्छे से जांच कराएं और डॉक्टर की सलाह ले लें

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