Delhi Yamuna: दिल्ली सरकार अगले दो वर्षों में यमुना में सीवेज और औद्योगिक अपशिष्टों के प्रवाह को पूरी तरह से रोकने के लिए नए स्थापित किए जा रहे छह शहर के सभी सीवेज उपचार संयंत्रों को पूरी तरह कार्यात्मक बनाएगी। अतिरिक्त मुख्य सचिव नवीन चौधरी ने सोमवार को कहा कि दिसंबर 2027 तक यमुना साफ हो जाएगी।
यमुना को साफ करने के काम की निगरानी के लिए दौरे के दौरान, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के प्रभारी चौधरी ने कहा, “देखिए अभी भी दिल्ली में कुछ एक दर्जन एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) काम कर रहे हैं, कुछ अच्छी तरह से काम कर रहे हैं, कोई उतना अच्छी तरह से नहीं कर रहा है। पहला टार्गेट है कि जितने भी एसटीपी हैं, मौजूदा एसटीपी, उसको दुरुस्त करना और तकरीबन आधा दर्जन हमें नए एसटीपी बनाने पड़ेंगे, जिसका निर्माण कार्य दिसंबर 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा।”
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उन्होंने कहा कि दिल्ली में यमुना का 57 किलोमीटर लंबा हिस्सा, हरियाणा से जहां इस शहर में प्रवेश करती है, उत्तर प्रदेश की सीमा तक जहां ये बाहर निकलती है। उसे साफ किया जाएगा। चौधरी ने कहा कि नदी को साफ करने के लिए तीन-चार चीजों को करने की जरूरत है, जिनमें कचरा और घास-फूस को हटाना और पूरी तरह कार्यात्मक सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) के जरिए सीवेज और औद्योगिक अपशिष्टों के बहाव की जांच करना शामिल है।
उन्होंने कहा कि नदी से ठोस कचरा, जलकुंभी और घास-फूस हटाने के लिए सात मशीनें तैनात की गई हैं और ये काम अगले कुछ महीनों तक चलेगा। चौधरी ने कहा कि नदी में औद्योगिक अपशिष्टों के प्रवाह को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे, जिसके लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और उद्योग विभाग मिलकर काम करेंगे। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने चेतावनी देते हुए कहा कि यमुना में अनुपचारित अपशिष्ट छोड़ने वाली औद्योगिक इकाइयों को बंद करना होगा।
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उन्होंने कहा कि ये भी तय किया जाएगा कि औद्योगिक क्षेत्रों में सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र (सीईटीपी) ठीक से काम कर रहे हैं। दिल्ली में लगभग 28 से 30 बड़े नाले अनुपचारित अपशिष्ट जल यमुना में डालते हैं। जिसमें सबसे बड़ा नजफगढ़ और बारापूला नाला है। अधिकारी ने कहा कि इन नालों में कई छोटे नाले शामिल होते हैं, जो अनुपचारित पानी को नदी में मिलाते हैं।
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