( प्रदीप कुमार ), दिल्ली- देश आज विजय दिवस मनाते हुए वीर जवानों के शौर्य को याद कर रहा है। राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति-प्रधानमंत्री-रक्षामंत्री ने 1971 के युद्ध में भारत की जीत के उपलक्ष्य में विजय दिवस पर वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने 16 दिसंबर, 2023 को विजय दिवस के अवसर पर वीर शहीद नायकों को समग्र राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की। विजय दिवस 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत की याद में मनाया जाता है। राष्ट्रपति ने एक्स पर पोस्ट के माध्यम से कहा कि राष्ट्र सशस्त्र बलों के कर्मियों के उस निस्वार्थ बलिदान और अदम्य साहस को कृतज्ञता के साथ याद करता है जिसने भारत की जीत सुनिश्चित की।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने विजय दिवस पर शहीदों को नमन करते हुए कहा कि “विजय दिवस पर, हम अपने सैनिकों के अटूट साहस का सम्मान करते हैं जो देश की संप्रभुता की रक्षा करते हैं और मानवीय गरिमा को बनाए रखते हैं। 1971 के युद्ध के दौरान उनके बलिदान ने हमारे सशस्त्र बलों के अद्वितीय दृढ़ संकल्प और असाधारण कौशल को प्रदर्शित किया। राष्ट्र उनके सर्वोच्च बलिदान का सदैव ऋणी रहेगा।”
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी वीर सैनिकों के बलिदान और अटूट साहस को याद करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हमारे वीरों का जज्बा हमेशा लोगों के दिलों और देश के इतिहास में अंकित रहेगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों के कर्मियों के अदम्य साहस और वीरता को याद करते हुए कहा कि हमें अपने सशस्त्र बलों पर गर्व है जिन्होंने हर परिस्थिति में निडर होकर हमारे देश की रक्षा की है। रक्षा मंत्री ने इस दिन को चिह्नित करने के लिए नई दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने और वायु सेना के उप प्रमुख एयर मार्शल एपी सिंह ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
गृहमंत्री अमित शाह ने भी विजय दिवस के मौके पर भारतीय जवानों के शौर्य को याद किया। गृहमंत्री ने कहा कि मैं विजय दिवस के अवसर पर हमारे सशस्त्र बलों के बहादुर दिलों को नमन करता हूं। इस दिन हमारे सैनिकों ने 1971 में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ शानदार जीत हासिल की और जीवन, महिलाओं और मानवीय मूल्यों की गरिमा को सुरक्षित रखा, जिसके परिणामस्वरूप एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का निर्माण हुआ। हमारी सेनाओं का बलिदान और वीरता अनंत काल तक साहस का स्तंभ बनी रहेगी।