कावड़ियें कब करेंगे जलाभिषेक? कब होगी समापन कांवड़ की यात्रा

(आकाश शर्मा)- SHIVJALABHISHEK MUHURAT-सावन मास की शुरुआत से ही कांवड़ यात्रा शुरु हो जाती है। चारो तरफ सड़के भगवामय हो जाती है। कांवड़ की यात्रा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। और इस साल तो सावन 59 दिनों का है। तो शिव भक्त भगवान के चरणों में नतमस्तक हो जाते है। अपनी भक्ति से बाबा भोले को प्रसन्न करते है।

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इस बार कब करेंगे जलाभिषेक?
सावन शिवरात्रि 2023 : शनिवार, 15 जुलाई 2023 को है। रात 8 बजे से ही जलाभिषेक की शुरुआत हो जाएगी है।
सावन शिवरात्रि रात्रि प्रहर पूजा समय
प्रथम प्रहर – 7:21 PM से 9:54 PM | 16 जुलाई 2023
द्वितीय प्रहर – 9:54 PM से 12:27 AM | 16 जुलाई 2023
तृतीय प्रहर – 12:27 AM से 3:00 AM | 16 जुलाई 2023
चतुर्थ प्रहर – 3:00 AM से 5:33 AM | 16 जुलाई 2023

क्या होती है कांवड़ यात्रा?
पुराणो के अनुसार सबसे पहले भगवान परशुराम ने कावड़ लेकर आए थे। जब से ही कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई। सावन के पवित्र महीने में शिव भक्त कांवड़ यात्रा का आयोजन करते है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भगवान महादेव को खुश करने के लिए प्रमुख तीर्थ स्थलों से गंगा जल से भरी कांवड़ को अपने कंधों पर रखकर पैदल शिव मंदिर जाते है। इस गंगा जल से शिव जी का अभिषेक करते है। इसके साथ ही कांवड़ियों की यात्रा को समाप्त करते है।

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सावन की शिवरात्रि का क्या महत्व है ?
प्रत्येक माह की कृष्ण त्रयोदशी को शिवरात्रि ही कहा जाता है, इन सभी 12 तथा 13 शिवरात्रियों मे से दो शिवरात्रि अत्यधिक प्रसिद्ध है। फाल्गुन माह की त्रियोदशी महा शिवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध है तथा दूसरी ओर सावन शिवरात्रि जबकि भगवान शिव के पवित्र माह सावन में मनाई जाती है।

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