World Population Day 2023- आबादी का बढ़ना, पूरे विश्व के लिए है चुनौती?

(आकाश शर्मा)- World Population Day 2023-आज पूरा विश्व “विश्व जनसंख्या दिवस बना रहा है। जनसंख्या किसी भी राष्ट्र की क्यों ना हो वह उस देश के संसाधनों पर अपना असर डालती है। किसी राष्ट्र की जनसंख्या आर्थिक, सामाजिक जैसे पहलुओं को प्रभावित करती है।

विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत
वैश्विक जनसंख्या के लगभग पांच अरब से अधिक होने पर 11 जुलाई, 1987 को वर्ल्ड पॉपुलेशन डे की शुरुआत की गई थी। लेकिन इस समय में विश्व की जनसंख्या 8 अरब से ज्यादा है। 20वीं सदी के मध्य में, दुनिया ने जनसंख्या वृद्धि में तेजी से बढ़ोतरी देखी, जिसे “जनसंख्या विस्फोट” के रूप में जाना जाता है।

विश्व जनसंख्या दिवस 2023 की थीम, जानिए
हर साल 11 जुलाई को मनाया जाने वाला ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ थीम के आधार पर बनाया जाता है।  दुनियाभर में हर साल अलग-अलग थीम पर मनाया जाता है। इसी क्रम में विश्व जनसंख्या दिवस 2023 की थीम है- यानी कि ‘एक ऐसी दुनिया की कल्पना करना जहां हम सभी से 8 अरब लोगों का भविष्य आशाओं और संभावनाओं से भरपूर हो’ रखी गई है।

जनसंख्या का बढ़ना क्या विश्व के लिए चुनौती है?
जनसंख्या पूरे विश्व के लिए बढ़ना तो ठीक है, लेकिन अत्यअधिक बढना किसी भी देश के लिए चुनौतिया खड़ी कर सकता है। 20वीं सदी के मध्य में, दुनिया ने जनसंख्या वृद्धि में तेजी से बढ़ोतरी देखी, जिसे “जनसंख्या विस्फोट” के रूप में जाना जाता है।

संसाधनों पर दबाव
लगातार बढ़ती जनसंख्या की वजह से जो सबसे बड़ी चुनौती पैदा होती है वो है प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ता है। प्राकृतिक संसाधनों में जमीन, पानी, जंगल और खनिज शामिल है, जनसंख्या के बढ़ने की वजह से इन संसाधनों का ज़रुरत से ज़्यादा इस्तेमाल होता है। जिससे इनका हनन होने लगता है।
इंफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव
बढ़ती आबादी के कारण आवास, परिवहन, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं से जुड़े बुनियादी ढांचे का विस्तार करने की ज़रूरत भी बढ़ जाती है, क्योंकि लोगो को सभी तरीके के सुख सुविधाओं की जरूरत होती है।
बेरोजगारी का बढ़ना
एक बड़ी आबादी की वजह से काम करने की क्षमता रखने वाले लोगों की एक बड़ी संख्या भी खड़ी हो जाती है, इस बड़ी संख्या को रोजगार उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती के तौर पर उभरा है। जिन लोगो को रोजगार का प्रबंध नहीं हो पाता है। उसे हम बेरोजगारी की श्रेणी में शामिल हो जाता है, यह चुनौती बहुत बडी चुनौतियों में शामिल हो जाती है।
शिक्षा और कौशल विकास
एक बड़ी आबादी को शिक्षित और कुशल बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि समय के साथ जितने लोगों को शिक्षित और कुशल बनाने की ज़रूरत होगी उतनी क्षमता शैक्षणिक संस्थानों के पास शायद नहीं होगी। जैसे स्कूल, कॉलेज, इत्यादि शामिल है।

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गरीबी और असमानता
बढ़ती जनसंख्या की वजह से गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ सकती है. साथ ही आमदनी की असमानता भी बढ़ने का ख़तरा है, एक बड़ी चुनौती गरीबी कम करने की कोशिशों को समाज के सभी वर्गों तक पहुँचाने की भी होगी।

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