दिवाली सबकी नहीं है एक जैसी, महंगाई से गरीबों की हालत हुई खराब

(देवेंदर शर्मा): एक तरफ जहां इस दिवाली हर घर में मिठाइयां और खुशियों का आगमन होगा वहीं दूसरी तरफ कुछ परिवार ऐसे भी जिनकी दिवाली हम जैसे लोगों पर निर्भर है। महंगाई ने सबकी जेब जकड़ रखी है, इस माहौल में भी जो ख़ुशी से जी रहा है उसके पास है परिवार का साथ, सहयोग और एकता। लेकिन वो कहते है न एक सिक्के के दो पहलु होते है। भरा-पूरा परिवार होते हुए भी कुछ लोग आज अकेले है। कारण कई हो सकते है। आज हम 1960 के एक ऐसे ही दम्पति की कहानी आपको बता रहे है जिनसे आपको प्रेरणा के साथ-साथ सीख भी ज़रूर मिलेगी।

ऐसी ही एक महिला है जिसका नाम है कलावती जो पिछले 25 सालों से मिटटी का सामान बेचने का काम कर रही है। इस साल भी हर साल की तरह उन्होंने डी-पार्क पर अपने मकान के बाहर ही फड़ी लगाई है। 10 by 12 फुट की छोटी-सी झोपड़ी में पति-पत्नी अपना गुज़र बसर पिछले कई सालों से कर रहे है। कहने को तो इनके 6 बच्चे है। जिनमें से 3 बेटी और 3 बेटे है। लेकिन ये उनके साथ इन दिनों नहीं रहते। इन दिनों यानी त्योहारी सीज़न में। माता जी का घर से डी-पार्क रोज आना जाना बूढ़ी अवस्था में मुश्किल हो जाता है।

76 वर्षीय कलावती ने बताया की उनके पति मिट्टी के बर्तन बनाते है और वो बेचते है। लेकिन पति की तबियत ठीक ना होने के चलते अब वो माल दिल्ली से ही उठाते है। barter system यानि सामान के बदले सामान लेना।

वहीं उनके पति राम भगत आज के माहौल से खासा खफा रहते है। उनका कहना है की उनका जन्म विभाजन से पहले का है। उस समय वो मात्र 5-6 साल के थे। मार-काट उन्होंने अपनी आँखों से देखा है। उस समय 1 रुपए में पता नहीं क्या क्या सामान आ जाता था और आज 1000 रुपए भी थोड़े लगते है। दम्पति इसी छोटी सी झोपड़ी में रहते है। परिवार के और लोग भी इसी तरह से फड़ी लगाते है। दिवाली सीज़न की बात की गई तो उनका कहना है की इस बार मार्किट में मंदी है। पहले एक से डेढ़ लाख तक का माल बीक जाता था लेकिन इस बार उम्मीद नहीं है।

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अन्य दुकानदारों से जब पूछा गया की मार्किट मंदी का असली कारण क्या है तो उन्होंने ऑनलाइन शॉपिंग को खूब कोसा। सारा बाजार ऑनलाइन शॉपिंग ने ख़राब कर दिया। शायद यही कारण है की लोग आज इन कुम्हारो से सामान लेने को तव्वजो ना देने की बजाए विभिन्न शॉपिंग APPS को दे रहे है।
हम इस देश के वासी है। दिवाली हमारे घर भी है। दिवाली इनके घर भी है। आओ इस दिवाली क्यों ना कुछ ऐसा करे की इनकी दिवाली को भी हम जुगनू जैसा रोशन करे।

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