(प्रदीप कुमार): भारत ने हासिल की बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल की है।कतर ने कथित जासूसी के आरोप में हिरासत में लिए गए 8 पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को रिहा कर दिया है,इसका भारत ने स्वागत किया है। रिहाई के बाद साथ 7 भारतीय देश लौट आए हैं। भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत में, कतर ने आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को रिहा कर दिया है, जिन्हें जासूसी के एक कथित मामले में खाड़ी देश में हिरासत में लिया गया था।विदेश मंत्रालय ने सोमवार सुबह जारी एक बयान में इस घटनाक्रम का स्वागत किया और कहा कि एक निजी कंपनी अल दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले 8 पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों में से 7 कतर से भारत लौट आए हैं .
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विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत सरकार दाहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है, जिन्हें कतर में हिरासत में लिया गया था।इनमें से आठ में से सात भारत लौट आए हैं। हम कतर राज्य के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं ताकि उन्हें सक्षम बनाया जा सके।इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी हमारी लिए खुशी की बात है।रिहाई के बाद भारतीय नौसेना के पूर्व सैनिको ने दिल्ली लौटकर इस मुद्दे पर हस्तक्षेप के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया।नौसेना के इन पूर्व अधिकारियो ने कहा कि पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बिना हमारे लिए यहां खड़ा होना संभव नहीं था और यह भारत सरकार के निरंतर प्रयासों के कारण भी हुआ
बाद में विदेश मंत्रालय में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान विदेश सचिव विनय मोहन कवात्रा ने कतर द्वारा छोड़े गए पूर्व भारतीय नौसैनिकों पर कहा कि हम फैसले की दिल से सराहना करते है 7 भारतीय अपने घर वापस आ गए हैं।8 वें भारतीय को भी रिहा कर दिया गया है और उसकी भारत यात्रा सुनिश्चित करने के प्रयास जारी हैं।विदेश सचिव ने कहा कि माननीय प्रधान मंत्री ने रिहाई सुनिश्चित करने की पहल की निगरानी की वही वहीं केंद्रीय मंत्रियों ने भी कतर में फंसे भारतीयों की रिहाई पर प्रतिक्रिया दी। केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि नए भारत में हर भारतीय की जान बेशक़ीमती है।कतर से भारत लौटे देश के वीर जवानों का हार्दिक अभिनंदन।मोदी है तो, मुमकिन हैपिछले साल दिसंबर में, कतर की एक अदालत ने अल दहरा ग्लोबल मामले में गिरफ्तार किए गए 8 भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों की मौत की सजा को उलट दिया था। मौत की सज़ा को घटाकर जेल की सज़ा में बदल दिया गया। यह घटनाक्रम तब हुआ जब कतर की प्रथम दृष्टया अदालत ने पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को दी गई मौत की सजा के खिलाफ भारत सरकार की तरफ से दायर अपील को स्वीकार कर लिया।