प्रदीप कुमार की रिपोर्ट – भारत चीन की सेनाओं के LAC पर अचानक नरम रुख अपनाने के ऐलान के बाद अब सारी नजरें अगले हफ्ते शंघाई सहयोग संगठन SCO सम्मेलन पर टिक गई है।15 और 16 सितंबर को उज्बेकिस्तान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रीय सी जिनपिंग आमने सामने हो सकते हैं। हालांकि सम्मेलन के इतर दोनों नेताओं के मिलने के बारे में अभी तक विदेश मंत्रालय की ओर से कोई संकेत नहीं दिया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि तनातनी के दौर में पहली बार आए नरम रुख में बैठक की संभावनाएं बढ़ गई हैं।पीएम मोदी और शी जिनपिंग दोनों ही सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं।
इससे पहले भारत और चीन की सेना ने घोषणा कर बताया कि उन्होंने ईस्टर्न लद्दाख के गोगरा- हॉटस्प्रिंग पेट्रोलिंग पॉइंट 15 इलाके से पीछे हटना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही 2 साल पहले जो तनाव शुरू हुआ था वह मुकाम पर आ गया है।गतिरोध के आखिरी पॉइंट पर भी सैनिक पीछे हटने शुरू हो गए।
हालांकि LAC पर डेमचॉक और डेपसांग एरिया में अभी गतिरोध कायम है लेकिन यह विवाद कई वर्षों से चल रहा है। गुरुवार को भारत और चीन की तरफ से जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि 16 वे दौर की कोर कमांडर स्तर के बीच बनी सहमति के हिसाब से यह फैसला लिया गया है।ये सीमाई इलाके में शांति के लिए अच्छा है।लद्दाख में ही पैगोग, गोगरा,हॉट स्प्रिंग एरिया से सैनिक पीछे हट गए हैं लेकिन असल चुनौती हजारों सैनिकों को शांति वाली स्थिति में भेजने की है। दोनों देशों की सेना की ओर से नरम रुख अपनाने का यह बयान ठीक है ऐसे समय आया है जब 15 और 16 सितंबर को उज्बेकिस्तान में पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आमने-सामने होंगे।यह पहली बार होगा जब कोविड-19 के बाद चीन के राष्ट्रपति विदेश यात्रा पर निकलेंगे।सूत्रों के मुताबिक अगर दोनों राष्ट्राध्यक्ष मिलते हैं तो इसमे LAC के अलावा व्यापार से जुड़े मसले भी उठ सकते हैं।दोनों देशों के बीच गलवान झड़प के बाद भारत ने चीन पर कई बंदिशें लगाई थी।
सूत्रों के मुताबिक भारत इस बार चीन पर तुरंत भरोसा करने की जल्दी नहीं दिखाएगा।साल 2016 में भी जब डोकलाम विवाद चरम पर था तब ठीक इसी तरह SCO सम्मेलन में पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात हुई थी जिसके बाद विवाद को दूर करने पर सहमति बनी थी, हालांकि कुछ महीनों की शांति के बाद चीन फिर अपनी पुरानी हरकतों में जुट गया था।