(अवैस उस्मानी )- 1984 Sikh Riots- 1984 सिख दंगों से जुड़े जनकपुरी और विकासपुरी में सिखों की हत्या का मामले में आरोपी सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय कर दिया। राउज़ एवेन्यु कोर्ट ने जनकपुरी और विकासपुरी में सिखों की हत्या का मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ IPC की धारा 147,148,153A, 295R/W149, 307,308, 323, 325, 395 ,436 के तहत आरोप तय किया। राउज़ एवेन्यु कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ हत्या की धारा 302 को हटा दिया। राउज़ एवेन्यु कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 21 सितंबर को होगी…1984 Sikh Riots
1984 सिख दंगों से जुड़े जनकपुरी और विकासपुरी में सिखों की हत्या का मामले में राउज़ एवेन्यु कोर्ट के स्पेशल जज MK नागपाल ने मामले में आरोपी कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय किया। राउज़ एवेन्यु कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ हत्या की धारा 302 को हटा दिया। राउज़ एवेन्यु कोर्ट ने जनकपुरी और विकासपुरी में सिखों की हत्या का मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ IPC की धारा 147,148,153A, 295R/W149, 307,308, 323, 325, 395 ,436 के तहत आरोप तय किया। राउज़ एवेन्यु कोर्ट को बताया गया कि सज्जन कुमार इस केस में हिरासत में नहीं है, सज्जन कुमार इस मामले में जमानत पर हैं। SIT ने मामले में IPC की धारा 147, 148, 149, 153A, 295, 436, 395, 307, 302, 102B के तहत चार्जशीट दाखिल की थी।
बता दें, 2015 में SIT ने सिख दंगा मामले में जनकपुरी और विकासपुरी में FIR दर्ज कर जांच शूरू किया था ।जनकपुरी में दो सिखों सोहन सिंह और उनके दामाद अवतार सिंह को 1 नवंबर, 1984 की हत्या हुई थी। विकासपुरी पुलिस स्टेशन के एरिया में गुरुचरण सिंह को जला दिया गया था, जिसके 30 साल बाद उनकी मौत हुई थी, मामले में SIT ने सज्जन कुमार का मई 2018 में पॉलीग्राफी टेस्ट भी किया था। शुरुआत में सज्जन कुमार ने पॉलीग्राफ टेस्ट का विरोध किया था। सज्जन कुमार के वकील ने कहा था सज्जन कुमार मामले में कई बार जांच में शामिल हो चुके हैं तो पॉलीग्राफ कराने का औचित्य है।
अगर पॉलीग्राफ में एजेंसी को कोई साक्ष्य नहीं मिला तो इसके लिये परेशान करने के लिये कौन जवाबदार होगा। हालांकि बाद में सज्जन कुमार पॉलीग्राफी टेस्ट के लिए तैयार हो गए थे। पूर्व सांसद सज्जन कुमार 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में पॉलीग्राफ जांच के लिये तर्क देते हुए कहा कि उनकी यह जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी व उनके वकीलों की मौजूदगी में कराई जाए। यह आरोप वापस लिया जाए कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान सज्जन कुमार के वकीलों ने दलील दिया था कि SIT के पास कोई साक्ष्य नहीं है, 34 साल मामला पुराना है। पहली बार शिकायतकर्ता हरविंदर सिंह ने 2016 में सज्जन कुमार का नाम लिया था।
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