दिल्ली की इन जगहों पर कबूतरों को नहीं डाल पाएंगे दाना, लगने जा रहा बैन, जानें क्या है वजह

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Pigeons Feeding Ban : दिल्ली में डॉक्टरों ने पक्षियों की आबादी से पैदा होने वाली स्वास्थ्य खतरों का हवाला देते हुए शहर भर में कबूतर को सार्वजनिक जगहों पर खाना खिलाने पर प्रतिबंध लगाने के दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के प्रस्ताव का स्वागत किया है। यदि एमसीडी के प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है, तो सार्वजनिक फुटपाथों, गोलचक्करों और सड़क चौराहों पर कबूतरों का खाना खिलाना बंद (Pigeons Feeding Ban ) हो सकता है।

एमसीडी अधिकारियों ने कहा कि प्रस्ताव में कबूतरों के भोजन दिए जाने की मौजूदा जगहों का सर्वे करना और इसे बंद करने के लिए एडवाइडरी जारी करना शामिल है, जो चांदनी चौक, कश्मीरी गेट, जामा मस्जिद और इंडिया गेट सहित दूसरे कई जगहों पर चस्पा किए जाएंगे। कबूतर की बीट से जुड़ी सांस और दूसरी बीमारियों के खतरे को कम करना है।

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इस मामले में सर गंगाराम अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिक्स डॉ. धीरेन गुप्ता ने कहा मुझे लगता है कि ये सही कदम है और इसे दशकों पहले उठाया जाना चाहिए था। सबसे पहले हमें ये समझने की जरूरत है कि कबूतर देखने में बहुत ही मासूम लगते हैं और जो लोग पक्षियों और उनके अधिकारों में भरोसा करते हैं, वे कहेंगे कि आप बेवजह उस चीज पर बैन लगा रहे हैं, जो बहुत पवित्र चीज मानी जाती है। हमें ये समझने की जरूरत है कि दो मुद्दे हैं। जब ये कबूतर खुले में होते हैं, तो कोई बड़ी समस्या पैदा नहीं करते हैं, लेकिन आम तौर पर यदि आप उन्हें खाना खिलाते हैं तो वे किसी इमारत पर बैठते हैं और जब वे ऐसी जगहों पर या एयर कंडीशनर के आउटलेट के पास बीट करते हैं, तो उससे कमरे दूषित हो जाते हैं।

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कई बार वे एयर कंडीशनर के वेंटिलेशन सिस्टम के पास अपना घोंसला बना लेते हैं फिर हम लगातार उनके बीट के संपर्क में रहते हैं, जिससे समस्याएं पैदा होती हैं। एक तो सीधी समस्या है कि अगर कोई भी इंसान इसे सूंघ लेता है तो उससे जलन हो सकती है और अस्थमा का दौरा पड़ सकता है। लेकिन अगर यह बार-बार सांस के जरिए अंदर जाता है तो उससे हमारी रोग प्रतिरोधी क्षमता कमजोर होती है, जिसे न्यूमोनिटिस के रूप में जाना जाता है। यदि छह हफ्ते के भीतर इसकी पहचान नहीं हुई तो इससे परमानेंट डैमेज हो सकता है।

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डॉ. धीरेन गुप्ता के अलावा सर गंगाराम अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट और हेपेटिबिलरी सर्जरी डिपार्टमेंट की प्रमुख डॉ. उषाहस्त धीर ने कहा ने कहा कि खासकर दिल्ली में हम चौराहों पर देखते हैं कि अचानक कार रुकती है और लोग उससे बाहर आकर कबूतरों को खाना खिलाते हैं। ये चौराहे कबूतरों के खाने की प्रमुख जगह बन गए हैं, जहां कबूतर बड़ी मात्रा में मल त्याग करते हैं। इसलिए, ये जगह स्वास्थ्य के बड़े खतरे को पैदा कर रहे हैं क्योंकि यहां कबूतरों की बीट जमा होती है। वहां और भी बहुत से पक्षी आते हैं, फड़फड़ाते हैं। जिससे इन कबूतरों की बीट में पैदा होने वाले बीजाणु, जो हवा में फैलते हैं। ये कवक बीजाणु हैं, जिनमें से अधिकांश क्रिप्टोकोकल हैं। इन बीजाणुओं में बैक्टीरिया और वायरस भी होते हैं, जिनमें सबसे घातक साल्मोनेला है, जो आमतौर पर दस्त और टाइफाइड का कारण बनता है

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