Waqf Law: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार यानी की आज 15 सितंबर को वक्फ कानून (Waqf Law) पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि इसके पक्ष में संवैधानिकता की ‘पूर्व धारणा’ है। हालांकि, न्यायालय ने कुछ प्रावधानों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी, जिनमें वे प्रावधान भी शामिल है जिसमें कहा गया था कि केवल पिछले पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे लोग ही वक्फ बना सकते हैं। अंतरिम आदेश सुनाते हुए, प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, हमने प्रत्येक धारा को दी गई चुनौती पर प्रथम दृष्टया विचार किया और पाया कि पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई मामला नहीं बनता। Waqf Law
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हालांकि, शीर्ष अदालत ने उस प्रावधान पर रोक लगा दी जिसमें कहा गया था कि पिछले पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे व्यक्ति ही वक्फ बना सकते हैं। इसने उस प्रावधान पर भी रोक लगा दी जो सरकार द्वारा नामित किसी अधिकारी को ये तय करने का अधिकार देता है कि जो वक्फ संपत्ति है वह वास्तव में सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण है या नहीं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, हमने माना है कि पूर्व धारणा हमेशा कानून की संवैधानिकता पर आधारित होती है और दुर्लभतम मामलों में ही ऐसा किया जा सकता है। हमने पाया है कि पूरे अधिनियम को चुनौती दी गई है, लेकिन मूल चुनौती धारा 3(आर), 3सी, 14… को थी। Waqf Law
न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि जहां तक संभव हो, वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी एक मुस्लिम होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने साथ ही गैर-मुस्लिम को सीईओ नियुक्त करने की अनुमति देने वाले संशोधन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। Waqf Law
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न्यायाधीश ने ये भी कहा कि राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषदों में गैर-मुस्लिमों की संख्या तीन से अधिक नहीं हो सकती। विस्तृत निर्णय की प्रतीक्षा है। शीर्ष न्यायालय ने 22 मई को तीन प्रमुख मुद्दों पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिनमें ‘‘अदालतों द्वारा वक्फ, उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ या विलेख द्वारा वक्फ’’ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने का अधिकार भी शामिल है, जो वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सामने आया था।