“हवा में ज़हर है, साँसों में डर है, अस्पताल भरे हुए हैं… लेकिन क्या सरकार की नज़र में प्रदूषण से कोई नहीं मर रहा? कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने आज संसद में सरकार के जवाब को लेकर एक बड़ा हमला बोला है। सुरजेवाला ने आंकड़ों का हवाला देते हुए पूछा है कि अगर सरकारी एडवाइजरी में मौतें हैं, तो संसद में इनकार क्यों?”
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सुरजेवाला ने कहा कि ICMR के आंकड़े कहते हैं कि हर साल 17 लाख भारतीय प्रदूषण से मरते हैं। उन्होंने सवाल पूछा है कि जब स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों को ‘बढ़ती मृत्यु दर’ की चेतावनी देता है, तो संसद में सच क्यों छिपाया जा रहा है? उन्होंने सरकार पर ‘आंकड़ों की बाजीगरी’ का आरोप लगाया है। सुरजेवाला का कहना है कि सरकार जानबूझकर सच छिपा रही है क्योंकि प्रदूषण को कभी ‘डेथ सर्टिफिकेट’ में मौत का सीधा कारण नहीं लिखा जाता।उनका तर्क है कि “मौत के सर्टिफिकेट में हार्ट अटैक, स्ट्रोक या दमा लिखा जाता है, लेकिन उस बीमारी की जड़ वो ज़हरीली हवा होती है जिसे हम सांसों के जरिए अंदर ले रहे हैं। यह डेटा की कमी नहीं, बल्कि जानबूझकर किया गया इनकार है।”

रणदीप सुरजेवाला ने केंद्र सरकार की उस एडवाइजरी पर भी सवाल उठाए, जिसमें राज्यों को प्रदूषण की वजह से ‘इमरजेंसी’ के लिए तैयार रहने को कहा गया है। उन्होंने पूछा कि अगर प्रदूषण जानलेवा नहीं है, तो फिर बच्चों, बुजुर्गों और गरीबों के लिए अस्पतालों में बेड बढ़ाने के निर्देश क्यों दिए जा रहे हैं?सुरजेवाला का कहना है कि देश को ‘शब्दों का धुआँ’ नहीं, बल्कि साफ़ हवा और जवाबदेह सरकार चाहिए। बहरहाल संसद में दिए गए सरकार के जवाब पर सुरजेवाला का हमला साफ बयान कर रहा है कि विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार की घेराबंदी और तेज करेगा।
