भारत में धार्मिक कार्यों को अधिक महत्व दिया जाता है। यहां ऐसे बहुत सारे तीज त्यौहार है खासतौर से नवरात्री में जिनका पालन भूखे रहकर किया जाता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं की आप बिलकुल ही भूखे रह जाओ। व्रत के दौरान लोग अनाज नहीं खाते है। लेकिन कुट्टू के आटे से बनी पकवान का खूब इस्तेमाल किया जाता है। नवरात्री के दौरान कुछ अलग तरह के पकवान बनते है। जिसमें फल के साथ-साथ कुट्टू या सिंघाड़े का इस्तेमाल किया जाता है। जिसे हम व्रत के दौरान खाने में इस्तेमाल तो कर लेते है लेकिन शायद ही पता होगा की वास्तव में ये है क्या और किस चीज से बनी होती है। अभी हाल ही में कुछ ऐसे जानकारीयां सामने आयी थी जिसमें भारत के कुछ क्षेत्रों में कुट्टू के आटे से बनी पूरीयां खाने से 300 से ज्यादा लोग बीमार हो गए और कई लोगों की हालत तो गंभीर भी हो गयी थी। और यह कोई सिर्फ इसी साल की खबर नहीं है ऐसे मामले हर साल ही आते है। जहां ये सुनने को मिलता है की कुट्टू के आटे से बनी पूरियां खाने से लोगों की हालत गंभीर हुई है। तो यहां हम आपको कुट्टू के बारे में कुछ जानकारियां साझा करेंगे जिसको पढ़कर कुट्टू का आटा खरीदते समय सावधानियां बरत सकते है और कुट्टू को स्टोर करने में भी मदद मिलेगी जिससे इसे अधिक दिनों तक इस्तेमाल किया जा सके।
कुट्टू को अंग्रेजी में बकवीट कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम फैगोपाइरम एक्सक्युल्युटम है। कुट्टू का आटा कुट्टू के पौधे से प्राप्त बीजों से बनता है जिसको पीसकर आटे के रूप में प्राप्त किया जाता है। कुट्टू का आता प्रोटीन से भरपूर होता है और ग्लूटोन फ्री होता है जो सेहत के लिए भी अच्छा माना जाता है। कुट्टू का आटा प्रोटीन, आयरन, ज़िंक, फॉलेट, कॉपर, मैग्नीशियम, विटामिन बी, मैग्नीज और फॉस्फोरस से भरपूर होता है। इसे गेहूं के आटे की जगह खाया जाता है। फाइबर से भरपूर, पाचन के लिए अच्छा माना जाने वाला कुट्टू का आटा एक बेहतर ऑप्शन है।
कुट्टू खाने में जितना लाभदायक है वहीं खराब कुट्टू खाने से सेहत चिंताजनक भी हो सकती है। इसलिए कुट्टू खरीदते समय छोटी छोटी बातों का ध्यान देना जरुरी है जैसे की जब आप बाजार जा रहे हो कुट्टू खरीदने तो ये ध्यान देना जरुरी है की वो ज्यादा पुराना ना हो। और इसमें फंगस या कीड़े तो नहीं लगे हैं ये चेक कर लें। वहीं बाजार से पैक्ड पैकेट ही खरीदें। और Add Newइस्तेमाल करते समय इसे छान लें।
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कुट्टू का का आटा बाजार से खरीदने के बजाय इसे घर पर भी आसानी से बना सकते है। जिसकी सेल्फ लाइफ 6 महीने होती है। इसे बनाने के लिए कुट्टू के बीज को घर लाएं, धोकर, सुखाकर, मिक्सी में पिस लें। इससे आपको शुद्ध आटा मिलेगा।
असली और नकली की कैसे करें पहचान
आजकल हर चीज में मिलावट होना आम है। ऐसे में कुट्टू का आटा में भी मिलावट होना लाजमी है। असली और नकली कुट्टू के आटे की पहचान उसके रंग से की जाती है। असली कुट्टू का आटा गहरे भूरे रंग की होती है तो वहीं मिलावटी या खराब आटे का रंग बदल जाता है। इसका रंग ग्रे या हल्का हरा दिखाई पड़ सकता है. इसके अलावा नकली कुट्टू का आटा गूंथते समय बिखरने भी लगता है।
कितनी होती है सेल्फ लाइफ
कुट्टू के आटे की सेल्फ लाइफ बहुत काम होती अगर इसे फ्रिज में रखा जाये तो इसे 3 महीने स्टोर करके रखा जा सकता है। तो वहीं इसके बीज की सेल्फ लाइफ 6 महीने होती है। इसके अलावा कुट्टू के आटे को सूर्य की रोशनी और नमी से भी दूर रखना चाहिए क्योंकि इसके सम्पर्क में आने पर यह बहुत जल्दी खराब होता है और इसमें कीड़ें पड़ने लगते है।