Aditya L1 Mission: भारत फिर रचेगा इतिहास! आज अपनी मंजिल पर पहुंचेगा आदित्य एल-1, सूर्य के कई महत्वपूर्ण रहस्यों का लगाएगा पता, जानिए कैसे?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए देश के पहले सोलर मिशन ‘आदित्य एल वन’ यान को शनिवार को उसकी मंजिल यानि पृथ्वी की अंतिम कक्षा में पहुंचाने की तैयारी पूरी कर ली है। पृथ्वी से इसकी दूरी लगभग 15 लाख किलोमीटर है।इसरो के अधिकारियों के मुताबिक अंतरिक्ष यान धरती से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सन-अर्थ सिस्टम के ‘लैग्रेंज प्वाइंट वन (एल वन) के आस-पास हेलो कक्षा में पहुंचेगा। ‘एल वन प्वाइंट’ धरती और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि ‘एल वन प्वाइंट’ के चारों ओर हेलो कक्षा में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है।अधिकारियों के मुताबिक इससे वास्तविक समय में सोलर एक्टिविटी और स्पेस वेदर को ऑब्जर्व करने में ज्यादा फायदा मिलेगा।ये प्रक्रिया शनिवार शाम करीब चार बजे होगी। इसमें आदित्य-एल वन को एल वन के चारों ओर हेलो ऑबिट में बांध दिया.जाएगा।इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के डायरेक्टर ए. सुब्रमण्यम ने आदित्य-एल वन के सफर में इसे महत्वपूर्ण क्षण बताया है।वीईएलसी यानी विजिबिलएमिशन लाइन कोरोनाग्राफ सूर्य के कोरोना का निरीक्षण करने के लिए आदित्य-एल वन पर प्राइम पेलोड है।

सुब्रमण्यम ने कहा कि वीईएलसी सहित शुरुआती ऑपरेशन कुछ हफ्तों के बाद होंगे।पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी-सी57) ने दो सितंबर 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के सेकेंड लॉन्च पैड से आदित्य-एल वन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था।63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान के बाद इसे सफलतापूर्वक पृथ्वी के चारों ओर 235×19500 किलोमीटर एलिप्टिकल ऑर्बिट में भेजा गया।इसके बाद आदित्य एल वन को कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा और वो धरती के प्रभाव क्षेत्र से बचकर, सन-अर्थ लैग्रेंज प्वाइंट वन (एल वन) की ओर बढ़ता गया।

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भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान निदेशक अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने कहा कि आदित्य-एल वन की यात्रा में ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षण है। ये आदित्य-एल-वन को एल वन के चारों ओर एक हेलो ऑर्बिट में स्थापित करेगी। अब ये क्रूज़ चरण से आदित्य की कक्षा चरण तक अपने संक्रमण की यात्रा शुरू करेगी। अब इस चरण में, हम सभी विज्ञान संचालन विशेष रूप से विजिबल एमिशन लाइन कोरोनोग्राफ (वीईएलसी) का दरवाजा खोलने में सक्षम होंगे जिसे भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान ने बनाया है और डिस्ट्रिब्यूट किया है। इसलिए मैं इस विशेष उपकरण के दरवाजे खोलने और संचालन के लिए उत्सुक हूं।

“हम दरवाजे की तरह विज़िबल एमिशन लाइन कोरोनोग्राफ (वीईएलसी) के खुलने और शुरुआती संचालन का इंतजार कर रहे हैं। ये कुछ हफ्तों के बाद शुरू होगा। डेटा पहले से ही इसरो सेंटर से आईआईए तक जा रहा है, जहां हम डेटा प्रॉसेस कर रहे हैं और इसे प्रसार के लिए वापस भेज रहे हैं। एक बार डेटा यहां आ जाएगा तो हमारी साइंस टीम इसे देखना शुरू कर देगी, वैज्ञानिक विश्लेषण करेगी और हम सबसे महत्वपूर्ण परिणाम सामने लाने में सक्षम
होंगे।

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