नई दिल्ली: आईफोन बनाने वाली कंपनी एप्पल ने इजरायली कंपनी NSO ग्रुप पर केस दर्ज कर दिया है। एनएसओ ग्रुप वही है, जिसने जासूसी करने वाला स्पायवेयर पेगासस बनाया है।
एप्पल का आरोप है कि एनएसओ ग्रुप ने साइबर निगरानी मशीन बनाई है और इसका दुरुपयोग हो रहा है। साथ ही एप्पल ने आरोप लगाया है कि पेगासस स्पाईवेयर के जरिए आईफोन रखने वालों को निशाना बना रहा है। एपल ने कोर्ट से NSO ग्रुप को ब्लॉक करने की भी मांग की है।
बता दें, पेगासस के जरिए जासूसी को लेकर एनएसओ ग्रुप पहले से ही विवादों में है। भारत में भी पेगासस के जरिए जासूसी हुई या नहीं, अभी इसी को लेकर जांच चल रही है। इसके लिए अलग से एक टीम बनाई गई है।
पेगासस के जरिए हजारों कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और राजनेताओं की हुई जासूसी के बाद NSO ग्रुप पर तलवार लटकी है। अमेरिकी अधिकारियों ने कुछ ही हफ्ते पहले ही एनएसओ ग्रुप को अमेरिकी कंपनियों से निर्यात को प्रतिबंधित करने के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया था।
एपल ने कैलिफोर्निया में अमेरिकी संघीय अदालत में दायर मुकदमे में कहा है कि अपने उपयोगकर्ताओं को और अधिक दुरुपयोग और नुकसान को रोकने के लिए एपल एनएसओ ग्रुप को किसी भी एपल सॉफ्टवेयर, सेवाओं या उपकरणों का इस्तेमाल करने से प्रतिबंधित करने की स्थायी मांग कर रहा है।
Also Read अब अंतरराष्ट्रीय छात्र 1 दिसंबर से लौट सकेंगे ऑस्ट्रेलिया
NSO ग्रुप ने इस बार भी हर बार की तरह आरोपों को नकार दिया है। ग्रुप का कहना है कि उसके द्वारा बनाए गए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल केवल आतंकवाद और अन्य अपराधों को रोकने के लिए खास अधिकारियों द्वारा किया जाता है। ग्रुप ने एक बार फिर से जासूसी के आरोपों को खारिज कर दिया है।
Apple ने कहा है कि पेगासस के जरिए उसके 1.65 बिलियन डिवाइस प्रभावित हुई हैं जिनमें एक बिलियन से अधिक आईफोन शामिल हैं। एपल से पहले फेसबुक ने भी व्हाट्सएप की जासूसी के लिए 2019 में एनएसओ ग्रुप पर मुकदमा किया था।
स्राइल सरकार ने हाल ही में पेगासस स्पाईवेयर बनाने वाली कंपनी एनएसओ से दूरी बनाई है। इस्राइली सरकार ने बयान जारी कर कहा है कि एनएसओ एक निजी कंपनी है और सरकार का उससे कोई लेना-देना नहीं है।
इस्राइल के विदेश मंत्री, याइर लापिड ने प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट और वित्त मंत्री एविगडोर लिबरमैन के साथ शनिवार शाम प्रधानमंत्री कार्यालय में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में हिस्सा लिया।
यहां उन्होंने कहा कि एनएसओ एक निजी कंपनी है, यह एक सरकारी परियोजना नहीं है और इसलिए भले ही इसे नामित किया गया हो, इसका इस्राइल सरकार की नीतियों से कोई लेना-देना नहीं है।