नई दिल्ली: दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड हिंसा के बाद पंचायतों का दौर शुरू हो गया है। इन पंचायतों का मुद्दा सिर्फ आंदोलन को मजबूती देना है। किसान पूरी तरह से एक बार फिर दिल्ली पहुंच रहे हैं।
वहीं, दिल्ली पुलिस ने भी किसानों को प्रदेश में घुसने से रोकने के लिए तैयारियां सख्त कर दी है। गाजीपुर बॉर्डर को किले में तब्दील कर दिया गया है।
किसानों के बढ़ते संख्या बल को देखते हुए गाजीपुर बॉर्डर पर रातों- रात 12 लेयर की बैरिकेडिंग की गई है। इसके साथ ही नुकीले तार भी लगाए गए हैं। एनएच 24 को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।
नोएडा सेक्टर 62 से अक्षरधाम जाने वाले रास्ते को भी पूरी तरह बंद किया गया है। उधर, दूसरी तरफ सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच बॉर्डर पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।
वहीं, किसान परेड के दौरान 26 जनवरी को लाल किला और दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में हिंसा के दौरान किसानों के लापता होने का मामला पंजाब में सियासी तौर पर गरमाने लगा है।
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सूबे के किसान संगठनों और धार्मिक संगठनों ने 400 से अधिक किसानों व नौजवानों के लापता होने का आरोप लगाया है और इस संबंध में दिल्ली पुलिस पर उंगली भी उठाई जा रही है।
पंजाब से जुड़े कई किसान संगठनों और धार्मिक संगठनों ने आरोप लगाया है कि दिल्ली हिंसा के दौरान 400 से ज्यादा युवा और बुजुर्ग किसान लापता हैं।
अमृतसर के खालड़ा मिशन ने आरोप लगाया है कि गायब हुए सभी लोग दिल्ली पुलिस की अवैध हिरासत में हैं। मिशन ने इस मामले में सोमवार को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है।
पंजाब के मानवाधिकार संगठन के जांच अधिकारी सरबजीत सिंह वेरका ने दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को बिना किसी केस के ज्यादा समय तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता है, इसलिए पकड़े गए लोगों के बारे में पुलिस जानकारी दे।
उन्होंने कहा कि इस मामले को दिल्ली हाईकोर्ट ले जाने की भी पूरी तैयारी कर ली गई है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के वकील हाकम सिंह का कहना है कि पंजाब के 80-90 नौजवान 26 जनवरी को सिंघु और टिकरी बॉर्डर गए थे।
हिंसा की घटना के बाद वे सभी नौजवान किसान अब तक अपने शिविरों में नहीं लौटे हैं। वकीलों का एक ग्रुप उन्हें ढूंढने की कोशिश में जुटा है और इसके लिए हम पुलिस, किसान संगठनों और अस्पतालों के संपर्क में हैं।
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