बुलंदशहर में 92 साल का छात्रा बनी प्रेरणा का स्रोत

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में नव भारत साक्षरता कार्यक्रम में 92 साल की एक छात्रा हैं। सलीमन इस योजना के तहत परीक्षा देने वाली सबसे उम्रदराज छात्रा हैं।

बेसिक शिक्षा अधिकारी लक्ष्मीकांत पांडे ने कहा कि नवभारत साक्षरता कार्यक्रम भारत सरकार का एकमात्र वयस्क साक्षरता कार्यक्रम है। इसमें 15 वर्ष से अधिक सभी लोगों को पढ़ना-लिखना सिखाया जाता है। जनपद बुलंदशहर में 21,000 लोगों का चयन किया गया है, जिसमें दो राउंड की परीक्षाएं हो चुकी हैं। और 24/09/23 को संपन्न हुई परीक्षा में एक हमारी अत्यंत बुजुर्ग महिला 92 वर्षीय सलीमन ने परीक्षा दी है। जो सबके कौतुहल का केंद्र है। इससे ये भी सिद्ध होता है कि हमारे सीखने की कोई उम्र नहीं होती

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प्रतिभा हेडमास्टर ने कहा कि ये दो साल से हैं। स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो थोड़ा देखने में भी इनको प्रॉब्लेम है। लेकिन अम्मा 92 साल की एज होने के बावजूद इनके अंदर इतनी चाह है, पढ़ाई के प्रति कि अम्मा अपने खुद ही आ जाना कि मास्टरनी मुझे पढ़ा दो। बच्चों के साथ बैठती हैं। गिनती याद करती हैं। या बच्चे जो भी बोल रहे हैं, अक्षर का ज्ञान है, तो उसे आराम से बोल लेती हैं। मौखिक उच्चारण अच्छे से कर लिया करती हैं। तो ये है। अम्मा को देखके बच्चे मोटिवेट होते हैं।

सलीमन की पोती ने कहा कि हम लोग ने एग्जाम दिया। स्कूल बंद हो गया। हम पढ़ ना पाए। अब हम पढते हैं। हिसाब-किताब करते हैं। अपना नाम भी साइन करते हैं। सलीमन की कहानी इस बात की मिसाल है कि कुछ करना चाहें तो उम्र सिर्फ एक संख्या है। यही बात इलाके के लोगों के लिए प्रेरणा है।

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