( प्रदीप कुमार )- फिल्म पायरेसी को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। सीबीएफसी और सूचना एवं प्रसारण अधिकारी पायरेटेड फिल्मी सामग्री वाली किसी भी वेबसाइट/ऐप/लिंक को ब्लॉक करने/हटाने का निर्देश देने के लिए अधिकृत किये गए है।
केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय ने फिल्म पायरेसी रोकने के लिए बड़ी कार्रवाई की है।क्योंकि उद्योग को पायरेसी से सालाना 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। सीबीएफसी और सूचना एवं प्रसारण अधिकारी पायरेटेड फिल्मी सामग्री वाली किसी भी वेबसाइट/ऐप/लिंक को ब्लॉक करने/हटाने का निर्देश देने के लिए अधिकृत किये गए है।
पायरेसी के कारण फिल्म उद्योग को हर वर्ष 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने के कारण सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पायरेसी रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। इस वर्ष मानसून सत्र के दौरान संसद द्वारा सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) कानून, 1952 को पारित करने के बाद, सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने पायरेसी के खिलाफ शिकायतें प्राप्त करने और बिचौलियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पायरेटेड सामग्री को हटाने का निर्देश देने के लिए नोडल अधिकारियों का एक संस्थागत तंत्र स्थापित किया है।
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कॉपीराइट कानून और आईपीसी के तहत अभी तक कानूनी कार्रवाई को छोड़कर पायरेटेड फिल्मी सामग्री पर सीधे कार्रवाई करने के लिए कोई संस्थागत तंत्र नहीं है। इंटरनेट के प्रसार और लगभग प्रत्येक व्यक्ति द्वारा नि:शुल्क में फिल्मी सामग्री देखने में रुचि रखने के साथ, पायरेसी में तेजी देखी गई है। केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा है कि उपरोक्त कार्रवाई से पायरेसी के मामले में सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी और फ़िल्म उद्योग को राहत मिलेगी।
इससे पहले इस विधेयक के बारे में संसद में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि इस कानून का उद्देश्य फिल्म पायरेसी पर अंकुश लगाने की फिल्म उद्योग की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करना है। इस कानून में 40 वर्ष बाद संशोधन किया गया, ताकि 1984 में अंतिम महत्वपूर्ण संशोधन किए जाने के बाद डिजिटल पायरेसी सहित फिल्म पायरेसी के खिलाफ प्रावधानों को इसमें शामिल किया जा सके। संशोधन में न्यूनतम 3 महीने की कैद और 3 लाख तक रुपये के जुर्माने की सख्त सजा शामिल है, सजा को 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है और ऑडिटेड सकल उत्पादन लागत का 5 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
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