सेंट्रल विस्टा परियोजना को “महत्वपूर्ण और जरूरी” बताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को परियोजना पर कंस्ट्रक्शन को जारी रखने की अनुमति दी और याचिकाकर्ताओं पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
हाईकोर्ट ने कहा कि परियोजना की वैधता को सुप्रीम कोर्ट पहले ही बरकरार रख चुका है। इसमें कहा गया है कि यहां तक कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने भी इसे जारी रखने की अनुमति दी, कार्यकर्ता पहले से ही साइट पर मौजूद थे और इसलिए, “हमें काम रोकने का कोई कारण नहीं दिखता है“।
मुख्य जज डी एन पटेल और जज ज्योति सिंह की पीठ ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान परियोजना को रोकने की मांग वाली याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिका “वास्तविक जनहित याचिका नहीं” थी। इसलिए कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
कोर्ट ने कहा कि शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप को दिए गए ठेके के तहत काम नवंबर 2021 तक पूरा करना था और इसलिए इसे जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए।
काम को रोकने के लिए अन्या मल्होत्रा और एक इतिहासकार और फिल्म निर्माता सोहेल हाशमी ने याचिका दायर की थी। दोनों ने अपनी जनहित याचिका में तर्क दिया था कि परियोजना एक आवश्यक गतिविधि नहीं थी और इसे कुछ समय के लिए रोका जा सकता है।
अधिवक्ता गौतम खज़ांची और प्रद्युम्न कैस्थ के माध्यम से दायर याचिका के मुताबिक, परियोजना में इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक राजपथ और आसपास के लॉन में निर्माण गतिविधियाँ शामिल हैं।
इस परियोजना में एक नया संसद भवन, एक नया रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट, ऑफिस और प्रधान मंत्री और उपराष्ट्रपति के आवास की परिकल्पना की गई है। इसमें विभिन्न मंत्रालयों के कार्यालयों के लिए नए ऑफिस और एक केंद्रीय सचिवालय भी होगा।
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