नई दिल्ली (ललित नारायण कांडपाल की रिपोर्ट)– किसानों की 3 अध्यादेशों पर हरियाणा के अलग-अलग जिलों से किसानों की राय को कमेटी सदस्य तीनों सांसदों ने प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ को सौंप दिया है। अब कल प्रदेश अध्यक्ष कृषि मंत्री और कई किसान प्रतिनिधियों के साथ मिलकर इस रिपोर्ट को कृषि मंत्री को सौंपेंगे। इस रिपोर्ट में अध्यादेशों को लेकर कई सुझाव सुझाए गए हैं।
कृषि अध्यादेशों पर किसानों का फीडबैक लेने के लिए गठित तीन सांसदों की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट आज मुझे सौंपी।मैं भिवानी सांसद @ch_dharambir जी,हिसार सांसद @BrijendraSpeaks जी और कुरुक्षेत्र सांसद @NayabSainiBJP जी का धन्यवाद देता हूं जिन्होंने किसान भाइयों से सभी सुझाव इकट्ठे किए। pic.twitter.com/pz4LXA2YNs
— Om Prakash Dhankar (@OPDhankar) September 14, 2020
किसानों को लेकर आए केंद्र सरकार के 3 अध्यादेशों के बाद किसानों में अलग-अलग जगह फैले असंतोष को दूर करने के लिए हरियाणा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष द्वारा बनाई गई तीन सांसदों की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष को सौंप दिया है।
इस समिति के लिए प्रदेश अध्यक्ष ने सांसद धर्मवीर सांसद नायब सिंह सैनी और बृजेश सिंह को नियुक्त किया था। जिन्होंने हरियाणा के 3 जिलों में जाकर वहां के किसानों और प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर इस मामले पर बातचीत की और बातचीत के बाद तीनों सांसदों द्वारा बनाई गई रिपोर्ट आज प्रदेश अध्यक्ष को सौंप दी गई है। प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ के नेतृत्व में किसान प्रतिनिधियों का एक संगठन कल दोपहर 12:00 बजे कृषि मंत्री से मुलाकात कर उन्हें यह सुझाव सौंपने जा रहा है।
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बीजेपी के तीन सांसदों को किसानों की ओर से कई सुझाव मिले हैं। जिसमें कहा गया हैै मंडियों को खत्म नहीं किया जाना चाहिए। किसानों की एमएसपी से भी छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। मंडियों के अतिरिक्त जो भी लोग फसलों की खरीद करें उनके लिए एक निगरानी सिस्टम होना चाहिए।जिसके जरिए सरकार उन पर नजर रख।
कुछ किसानों का कहना है कि फसल की खरीद मंडी के जरिए ही होनी चाहिए जबकि कुछ लोग बाहरी लोगों के द्वारा खरीद को भी सही बता रहे हैं। बीजेपी का साफ तौर पर कहना है कि यह अध्यादेश बृहद रूप में किसानों के फायदे के लिए ही लाए गए हैं लेकिन विपक्ष के द्वारा इसे लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है।
अब जबकि किसानों ने सांसदों को अपनी सुझाव दे दिए हैं और अब यह सुझाव कृषि मंत्री के पास जाने को तैयार हैं। तो ऐसे में देखना यह होगा कि केंद्र सरकार इन सुझावों पर कितनी गंभीरता से विचार करती है