(प्रदीप कुमार) –कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने क्रोनी कैपिटलिज्म के माध्यम से अपनी लूट को वैध बनाने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड योजना शुरू की है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कई आरोप लगाए हैं। दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कांग्रेस संचार विभाग में मीडिया और पब्लिसिटी के चेयरमैन पवन खेड़ा ने आरोप लगाया है कि कैश, क्रोनी कैपिटलिज्म और भ्रष्टाचार बीजेपी का नया चाल, चरित्र और चेहरा है। पवन खेड़ा ने आगे कहा कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक नई रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 और वित्त वर्ष 2021-22 के बीच, इलेक्टोरल बॉन्ड से भाजपा को 52 प्रतिशत से अधिक 5,271.97 करोड़ रुपये राजनीतिक फंडिंग से आया, जबकि अन्य सभी राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को 1,783.93 करोड़ रुपये मिले। इसका सीधा अर्थ है कि मोदी सरकार की विवादास्पद, भ्रष्ट और अपारदर्शी इलेक्टोरल बॉन्ड योजना काले धन को सफेद करने वाली योजना है।
पवन खेड़ा ने आरोप लगाते हुए कहा कि लोकतंत्र को नष्ट करना, पारदर्शिता को खत्म करना और चुनावी परंपराओं को ध्वस्त करना मोदी सरकार का एकमात्र उद्देश्य है। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली वर्ष 2017 के जनवरी में इलेक्टोरल बॉन्ड्स की योजना को लाए थे। इलेक्टोरल बॉन्ड्स के कारण इलेक्टोरल फंडिंग गैर-पारदर्शी हो गई है। इस बॉन्ड के खिलाफ चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट, आरबीआई सभी को आपत्तियां थीं। लेकिन राज्यसभा में बिना चर्चा के इसे मनी बिल के रूप में पारित करा दिया गया। मनी बिल के तहत पारित कराने पर संशोधन करने की शक्ति राज्यसभा को नहीं होती है। इससे संविधान की भावना पर हमला हुआ। इसके बाद लोकतंत्र पर लगातार हमला हो रहा है, अपारदर्शी तरीके से रूपये इकट्ठे किए जा रहे हैं। भाजपा ने विधायक खरीदने और सरकारें गिराने के लिए रूपये जुटाने का काम इस मनी बिल के जरिए किया है।
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पवन खेड़ा ने आगे कहा कि पहले कंपनी तीन वर्षों के अपने शुद्ध लाभ का 7.5 प्रतिशत से अधिक दान नहीं कर सकती थी। मगर भाजपा सरकार ने यह लिमिट भी हटा दी। अब कंपनी को यह बताने की जरूरत नहीं है कि किसको कितना चंदा दिया। यह अपारदर्शी है। स्पष्ट नजर आ रहा है कि काला धन कैसे सफेद हो रहा है। एक पार्टी के खाते में यह रुपया जाकर सफेद हो रहा है। बड़ी मात्रा में रुपया देश-विदेश से इलेक्टोरल बांड के जरिए आ रहा है, लेकिन कार्रवाई करने की बजाय देश की जांच एजेंसियां चुप्पी साधकर बैठी हैं।
खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी मोदी जी और अमित शाह से सवाल पूछती हैं कि इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के परिणामस्वरूप जो आपने कॉरपोरेट दान की सीमा समाप्त कर दी, साथ ही पहले कंपनियों को बताना पड़ता था कि किसको कितना दान दिया, वह भी समाप्त कर दिया गया, क्या इससे क्रोनी कैपिटलिज्म को कानूनी जामा नहीं पहनाया गया? मोदी सरकार हर संस्थान आरबीआई, ईसीआई, सीआईसी पर बुलडोजर चलाने और लोकतंत्र को ध्वस्त करने के लिए अदालत को अब क्या कारण देगी? पवन खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी चुनावी फंडिंग की पारदर्शी व्यवस्था चाहती है। कांग्रेस ने अपने 2019 के लोकसभा घोषणा पत्र और इस साल की शुरुआत में रायपुर में आयोजित 85वें महाधिवेशन में अपारदर्शी इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को खत्म करने का वादा किया था, जो सत्तारूढ़ दल के पक्ष में बनाई गई है। इसके बजाय, कांग्रेस पार्टी ने एक राष्ट्रीय चुनाव कोष स्थापित करने का वादा किया है, जिसमें कोई भी व्यक्ति योगदान दे सकता है। चुनाव के समय मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को कानून द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार धन आवंटित किया जाएगा। कांग्रेस पार्टी का मानना है कि चुनावी बॉन्ड योजना के परिणामस्वरूप चुनावी फंडिंग पर सत्ताधारी पार्टी का वित्तीय एकाधिकार हो जाता है और यह एक समान अवसर बनाने के लिए हानिकारक है।