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अगर ‘इंडिया’ सत्ता में आती है, तो अडाणी मामले पर जेपीसी का गठन…
ये जो चुनावी बॉन्ड में घोटाला हुआ है इस पर मैंने पहले कहा है। मैं ये मांग फिर से दोहराऊंगा कि इस पर एक एसआईटी का गठन होना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग इंक्वायरी होनी चाहिए। क्योंकि अब तो सारी की सारी जानकारी निकल आई है। और कोई राज तो नहीं रहा। सब निकल गया है। अभी मैचिंग भी हो सकता है। किसने कब कौन-सा बॉन्ड खरीदा और किस पार्टी को गया वो भी जानकारी मिल गई है। अगर ‘इंडिया’ सत्ता में आती है, तो अडाणी मामले पर जेपीसी का गठन किया जाएगा और एक एसआईटी पीएम-केयर्स फंड की भी जांच करेगी। हम चुनावी बांड घोटाले की भी एसआईटी से जांच कराएंगे।
Electoral Bond के जरिए राजनीतिक दलों को मिले 250 करोड़ रुपये…
लोकसभा चुनाव से पहले इन दिनों चुनावी दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने का मामला आजकल सुर्खियों में बना हुआ है।सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एसबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों की लिस्ट चुनाव आयोग को दी है। इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत 2017 में हुई थी। लेकिन इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की घोषणा के बाद बनी 60 से अधिक कंपनियों ने बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को करीब 250 करोड़ रुपये दिए।सु्प्रीम कोर्ट की Electoral Bond मामले में नकेल कसते ही न केवल एसबीआई ने यूनीक नंबर के साथ एक एक जानकारी चुनाव आयोग को सौंप दी है.