(दिवाँशी)- CHANDRAYAAN 3 – अपने पहले रॉकेट को साइकिल पर लॉन्च करने वाले भारत के बारे में किसी ने नहीं सोचा होगा कि एक दिन वो दुनिया की तमाम बड़ी अंतरिक्ष महाशक्तियों को टक्कर देगा। भारत चंद्रमा की ओर तीसरी बार कदम बढ़ाएगा। इससे पहले भी भारत ने दो बार चंद्रयान मिशन के तहत अपने दो रॉकेट को अंतरिक्ष में लैंड करवाया था। जो जानकारी दो रॉकेट नहीं जुटा पाए, उन्हें जुटाने के लिए अब चंद्रयान-3 को लैंड कराया जाएगा।
इस मिशन के तहत लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर 23 या 24 अगस्त को उतारा जा सकता है। इसमें मिली सफलता भारत को विश्व में चौथी महाशक्ति बना सकता है। अब तक केवल अमेरिका, चीन और रूस ही अपने यान की चंद्रमा पर सॉफ्ट- लैंडिग करा सके है। यह रॉकेट लॉन्च व्हीकल मार्क- 3 (एलवीएम- 3) के जरिये 14 जुलाई को पृथ्वी से प्रक्षेपित हो रहा है।
दस चरणों में बंटा पूरा मिशन
पहला चरण पृथ्वी आधारित होगा। जिसमें प्रक्षेपण पूर्व तैयारियां, प्रक्षेपण व पृथ्वी से जुड़े यान का स्थान परिवर्तन करेंगे। दूसरा चरण, चंद्रमा की ओर स्थानांतरण होगा। अगले सात चरण चंद्रमा आधारित होंगे। इनमें एलओआई, चंद्रमा से जुड़े यान का स्थान परिवर्तन, पीएम और चंद्रमा को उतारने के बनाए मॉड्यूल का अलग होना, मॉडयूल की गति को घटाना, प्री- लैंडिंग, लैंडिंग, लैंडर व रोवर के सामान्य चरण शामिल है। दसवां और आखिरी चरण प्रोपल्शन मॉड्यूल द्वारा चंद्रमा आधारित सामान्य परिक्रमा का है।
चंद्रयान- 3 से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
प्रक्षेपण 14 जुलाई को ही क्यों?
साल के इस समय पृथ्वी व चंद्रमा बाकि समय की तुलना में ज्यादा करीब होंगे। चंद्रयान- 2 भी इसी वजह से 22 जुलाई 2019 को प्रक्षेपित हुआ था।
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चंद्रयान- 3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर क्यों उतारा जा रहा है?
भारत के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को उतारने का निर्णय लिया है। क्योंकि यहां उत्तरी ध्रुव के मुकाबले पानी मिलने की अधिक संभावना है।