(प्रदीप कुमार): जर्मन भारतीय संसदीय मैत्री समूह के अध्यक्ष राल्फ ब्रिंकहॉस के नेतृत्व में जर्मन संसद (बुंडेस्टाग) के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज संसद भवन में लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की। भारत और जर्मनी के बीच दीर्घकालि संबंधों का उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने कहा कि दोनों देशों के आपसी संबंध साझा मूल्यों और समान लक्ष्यों पर आधारित हैं।
2021 में भारत जर्मनी राजनयिक संबंधों की स्थापना के सत्तर वर्ष और जर्मनी-भारत संसदीय मैत्री समूह के 50 वर्ष पूरे होने के सन्दर्भ में ओम बिरला ने दोनों देशों के मध्य संसदीय संबंधों को मजबूत बनाने में जर्मन सांसदों के योगदान की सराहना की। उन्होंने आगे कहा कि भारत और जर्मनी के बीच वर्ष 2000 से एक ‘रणनीतिक साझेदारी’है, जो 2011 से शासनाध्यक्षों के स्तर पर आपसी परामर्श के माध्यम से और सुदृढ़ हुई है। ओम बिरला ने हर्ष व्यक्त किया कि वर्तमान जर्मन सरकार ने भारत के साथ परामर्श वार्ताएं आरंभ की हैं जो दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के लिए सराहनीय पहल है। उन्होंने आगे कहा कि वे दोनों देशों के बीच आपसी संसदीय सहयोग को और अधिक सशक्त करना चाहते हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने लोकतांत्रिक मूल्यों, नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, बहुपक्षवाद और बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार को बनाए रखने में भारत और जर्मनी के विचारों में एकरूपता का भी जिक्र किया। उन्होंने आगे कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। देश की लोकतान्त्रिक धरोहर का उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने कहा कि भारत में लोकतंत्र की सदियों पुरानी विरासत रही है जिसके कारण भारत को विश्व में ‘लोकतंत्र की जननी’ के रूप में जाना जाता है।
‘वसुधैव कुटुंबकम’ को भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए ओम बिरला ने कहा कि इस वर्ष होने वाले जी-20 की बैठक के लिए ‘एक विश्व एक परिवार एक भविष्य (वन अर्थ, वन फॅमिली, वन फ्यूचर)’के विषय को मुख्य थीम के रूप में चुना गया है। उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष जी-20 देशों की संसदों के अध्यक्षों की पी -20 बैठक भी भारत में आयोजित होगी। ओम बिरला ने पी-20 में सदस्य के रूप में जर्मन संसद के सक्रिय सहयोग कि आशा व्यक्त की।
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दोनों संसदों के आपसी संबंधों के विषय में स्पीकर बिरला ने कहा कि जीवंत, बहुल वादी लोकतंत्र के रूप में भारत और जर्मनी नई और उभरती वैश्विक चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जर्मनी में रहने वाले प्रवासी भारतीयों के योगदान का उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने कहा कि विगत वर्षों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहित उच्च शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक भारतीय छात्रों और शोध कर्ताओं के लिए जर्मनी एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में उभरा है। उन्होंने आगे कहा कि विज्ञान और शोध के क्षेत्र में प्रवासी भारतीयों ने योग्यता का परिचय दिया है। ओम बिरला ने हर्ष व्यक्त किया कि जर्मनी में रहने वाले प्रवासी भारतीय विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करते हुए अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं।