(अवैस उस्मानी ): दिल्ली में दीवाली पर फिलहाल पूर्व बैन जारी रहेगा। दिल्ली में पटाखों पर लगे पूर्ण बैन को हटाने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया। दिल्ली हाईकोर्ट ने पटाखा निर्माण करने वाली कंपनी की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है इसलिए हम मामले में सुनवाई नहीं करेंगे।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में भाजपा सांसद मनोज तिवारी की तरफ से एक याचिका दाखिल कर दिल्ली सरकार के पटाखा बिक्री खरीद के ऊपर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है। जिसपर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करते हुए कहा था कि वह फिलहाल पटाखा बैन पर से रोक नहीं हटाएगा लेकिन दिवाली से पहले इस मामले में सुनवाई करेगा।
दरअसल दिल्ली पटाखों पर पूर्ण बैन के दिल्ली सरकार के नोटिफिकेशन को पटाखा निर्माता कंपनी शिव फायर वर्क्स और जय माता स्टोर्स को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। ग्रीन पटाखा निर्माता कंपनी ने पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के आदेश को चुनौती दी थी। याचीका में कहा गया कि DPCC का आदेश NGT और सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के विपरीत है। याचिका में कहा कि NGT ने उन क्षेत्रों में ग्रीन पटाखों की बिक्री और उपयोग की अनुमति उन जगहों पर दी थी, जहां पर हवा की गुणवत्ता माध्यम स्तर पर है।
पटाखा कंपनी ने याचिका में दिल्ली सरकार के साथ-साथ डीपीसीसी को उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने से रोकने के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई थी। याचिका में कहा कि दिसंबर, 2020 में लागू लगभग सभी कोरोना संबंधित प्रतिबंधों में अब ढील दी गई। इस प्रकार कोई कारण नहीं कि पटाखों की बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध जारी रहे, खासकर ऐसे समय में जब दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर मध्यम या बेहतर स्तर पर हैं।
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इससे पहले भाजपा नेता मनोज तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पटाखों पर लगे बैन को संस्कृति के खिलाफ बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि दिल्ली में पटाखों पर लगा प्रतिबंध नहीं हटायेगा। मनोज तिवारी ने याचिका में दिल्ली सरकार के फैसले को संस्कृति के खिलाफ बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली एनसीआर को लेकर हमारा फैसला एकदम स्पष्ट है, क्या आपने प्रदूषण की स्थिति नहीं देखी. पराली की वजह से पहले ही प्रदूषण बढ़ने लगा है, आप खुद एनसीआर में रहते हैं, फिर पहले से बढ़े प्रदूषण को और ज्यादा क्यों बढ़ाना चाहते हैं? हम इस बैन को नहीं हटा सकते हैं।