दिल्ली मेडिकल काउंसिल को भंग कर दिया गया है। उपराज्यपाल ने इस फैसले पर मंजूरी दे दी है और अब इसके सभी कामकाज डायरेक्टर ऑफ हेल्थ सर्विसेज यानी DHS को सौंप दिए गए हैं।
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दिल्ली मेडिकल काउंसिल पर लंबे समय से गंभीर आरोप लग रहे थे। आरोप था कि काउंसिल में वित्तीय अनियमितताएं, डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन में गड़बड़ी और कामकाज में कुप्रबंधन हो रहा था। इन्हीं वजहों से दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने काउंसिल को भंग करने की सिफारिश की थी। स्वास्थ्य मंत्री पंकज सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य से जुड़ी संस्थाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही चाहते हैं। DMC की कार्यप्रणाली में लगातार शिकायतें आ रही थीं, इसलिए यह जरूरी कदम उठाया गया है।
DMC को दिल्ली मेडिकल काउंसिल एक्ट 1997 की धारा 29 के तहत भंग किया गया है। इस एक्ट के मुताबिक, अगर काउंसिल अपने कर्तव्यों का ठीक से पालन नहीं करती है, तो सरकार उसे भंग कर सकती है। दिल्ली मेडिकल काउंसिल की स्थापना 1997 में हुई थी और यह पहली बार है जब इसे भंग किया गया है। अब उम्मीद की जा रही है कि DHS के अधीन आने के बाद मेडिकल रजिस्ट्रेशन और डॉक्टरों की मॉनिटरिंग की प्रक्रिया में सुधार होगा। सरकार ने भरोसा दिलाया है कि आम लोगों की सेहत से कोई समझौता नहीं होने दिया जाएगा।