(अवैस उस्मानी)- 1984 Sikh Riot- 1984 में सरस्वती विहार में सिखों की हत्या से जुड़ा मामले में केस से जुड़े जांच अधिकारी इंस्पेक्टर जगदीश कुमार का क्रॉस एग्जामिनेशन किया गया। इंस्पेक्टर जगदीश कुमार के क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान सज्जन कुमार के वकीलों ने उनसे कई सवाल पूछे। मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी कांग्रेस नेता सज्जन कुमार कोर्ट में मौजूद थे। राउज़ एवेन्यु कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर को अगली सुनवाई होगी। मामले की सुनवाई के दौरान पीड़ितों के वकील ने कहा कि अगर पुलिस ने सिख दंगा से जुड़े मामलों में सही से जांच किया होता तो 3000 से ज़्यादा केस होते लेकिन सिर्फ कुछ ही केस दर्ज हुए।
राउज़ एवेन्यु कोर्ट में स्पेशल जज MK नागपाल की अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान SIT के वकील ने कहा कि मामले में पहले जब दिल्ली पुलिस की तरफ से चार्जशीट दाखिल की गई थी तो चार्जशीट से जुड़े कुछ दस्तावेज़ कोर्ट में सुनवाई के दौरान नहीं मिले थे। जांच अधिकारी इंस्पेक्टर जगदीश कुमार ने बताया कि एन्टी रॉइटस सेल दिल्ली पुलिस द्वारा इस मामले की सिर्फ एक बार जांच की गई थी। जांच अधिकारी इंस्पेक्टर जगदीश कुमार ने कहा कि उनको 511/84 FIR से जुड़ी सिर्फ केस डायरी मिली थी, लेकिन कोर्ट से जुड़े दस्तावेज नहीं मिले थे। जांच अधिकारी इंस्पेक्टर जगदीश कुमार ने कोर्ट को बताया कि मामले से जुड़े कोर्ट के सभी फैसले भी उपलब्ध नहीं थे। सज्जन कुमार के वकील ने जांच अधिकारी इंस्पेक्टर जगदीश कुमार से क्रॉस एग्जामिनेशन के सवाल किया कि नोडल एजेंसी से कितनी बार संपर्क किया था? जांच अधिकारी इंस्पेक्टर जगदीश कुमार ने जवाब में कहा कि उनको याद नहीं है कि उन्होंने कितनी बार नोडल एजेंसी से संपर्क किया था।
सज्जन कुमार एक वकील ने सवाल पूछा कि क्या 8/7/94 के क्लोज़र रिपोर्ट के आदेश को पढ़ा था, जिसमें कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पर्याप्त सबूत नहीं मिले थे। सज्जन कुमार के वकील ने सवाल पूछा कि 8/7/94 के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को पहले कहीं चुनौती दी थी? जांच अधिकारी इंस्पेक्टर जगदीश कुमार ने जवाब में कोर्ट को बताया कि 8/7/94 के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को पहले कहीं चुनौती नहीं दी गई थी।
सज्जन कुमार के वकील ने जांच अधिकारी इंस्पेक्टर जगदीश कुमार से पूछा कि क्या यह सही है कि 511/84 FIR के मामले में तीन अलग अलग चार्जशीट दाखिल की गई थी? जांच अधिकारी इंस्पेक्टर जगदीश कुमार ने कहा कि मामले में शिकायतकर्ता ने पूरी तरह से सहयोग नहीं किया था, उसका 164 का बयान दर्ज किया गया था। सज्जन कुमार के वकील ने पूछा कि क्या 511/84 FIR की प्रिमिलरी जांच में सज्जन कुमार का नाम था।
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जांच अधिकारी इंस्पेक्टर जगदीश कुमार ने कहा कि FIR में सज्जन कुमार का नाम नहीं था। दरअसल मामले में SIT का कहना है कि सितंबर 1985 में न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा जांच आयोग के समक्ष एक महिला द्वारा दायर एक हलफनामे के आधार पर 1991 में सरस्वती विहार पुलिस स्टेशन में दंगा और हत्या का मामला दर्ज किया गया था। SIT का कहना है कि महिला ने अपने हलफनामे में एक नवंबर 1984 को अपने पति और बेटे की हत्या और जलाने की घटना के बारे में बताया था और उसने आरोपी सज्जन कुमार का नाम भीड़ को भड़काने वाले व्यक्ति के रूप में स्पष्ट रूप से बताया था। बता दें मामले में SIT ने IPC की धारा 147,148,149, 302,307,326, 395, 397, 427,436 ,440, 201के तहत आरोपपत्र दाखिल किया है।
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