फतेहाबाद(रमेश भट्ट): प्रदेश सरकार चाहे कितने भी प्रयास कर ले मगर सरकारी बाबुओं की ढील के कारण सरकारी योजनाओं का लाभ आम आदमी तक नहीं पहुंच पाता है। फतेहाबाद के जिला बनने के साथ ही जिला लाइब्रेरी (library) बनाने की घोषणा की गई थी। लाइब्रेरी स्थापित भी गई, मगर उसकी हालत ऐसी है, इससे अच्छे हालत तो किसी कबाडख़ाने के हो सकते हैं।
दरअसल, जिला मुख्यालय पर बना पुस्तकालय बीडीपीओ ब्लॉक कार्यालय के एक कोने में लोहे की शीट से बने एक हॉल में चल रहा है। जहां न तो बैठने की कोई अधिक व्यवस्था है, न पीने के पानी की और न ही शौचालय की। इस लाइब्रेरी (library) में करीब 60 से अधिक लोग पढऩे के लिए आते हैं, मगर इसकी क्षमता केवल 30 से 35 लोगों की ही है। ऐसे में इस भीषण गर्मी में क्या हालत होते होंगे और अंदाजा लगा पाना कोई मुश्किल नहीं है।
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वहीं, गर्मी के दिनों पडऩे वाली जब लोहे की शीट तपने लगती है तो अंदर का तापमान भी जबरदस्त तरीके से बढ़ता है जिससे वहां बैठना तो दूर कुछ सेंकड़ खड़ा रह पाना भी मुश्किल हो जाता है। बरसात और सर्दी के मौसम में हालत और भी खराब हो जाते हैं। इस पुस्तकालय यहां आने वाली छात्राओं ने बताया कि बड़े ही विपरित परिस्थितियों में यहां पढऩा पड़ता है। देखा जाए तो तमाम मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, जिसे किसी तरह से वह अपना काम चला लेती हैं, मगर यहां शौचालय न होने के कारण साथ लगते बीडीपीओ और आरटीओ कार्यालय परिसर में बने शौचालय में जाना पड़ता है जिससे उन्हें शर्मिदंगी भी उठानी पड़ती है।
पुस्तकालय की बिल्डिंग के लिए सरकार को डिमांड न भेजी गई हो, डिमांड तो कई बार भेजी जा चुकी है, मगर सरकारी बाबुओ के पास वक्त ही नहीं है इनकी पैरवी करने का। अब जब हालत ज्यदा खराब नजर आ रहे हैं तो एक बार फिर से उनकी ओर से कहा जा रहा है कि सरकार को पहले भी डिमांड भेजी गई है, अब फिर से भी भेजी जा रही है, उम्मीद है कि उनकी मांग पर सरकार गौर करेगी।
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