फसल पैदावार कम होने की वजह से 90 करोड़ लोग हो सकते हैं भुखमरी के शिकार

(दिवाँशी)- low crop yieldकोलंबिया यूनिवर्सिटी और जर्मन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के शोधकर्ता और मुख्य अध्ययनकर्ता काई कोर्नह्यूबर की अगुवाई में दुनियाभर में फसल की पैदावार कम होने को लेकर एक अध्ययन किया गया। इस अध्ययन के अनुसार, खाद्य उत्पादन से दुनिया गर्म हो रही है और उत्सर्जन का यह एक प्रमुख स्त्रोत है। साथ ही इस पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव भी देखने को मिलता है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2021 में 82.8 करोड़ लोगों को भूख का सामना करना पड़ा और जलवायु में आते लगातार परिवर्तन के कारण यह आंकड़े सदी के मध्य तक आठ करोड ज्यादा बढ के 90 करोड़ तक पहुँच सकते है। इस अध्ययन के मुताबिक, जलवायु और फसल मॉडल का उपयोग ये पता लगाने के लिए किया जाता कि दुनिया के होने पर इसके क्या दुष्परिणाम हो सकते है। साथ में अध्ययन में यह भी कहा गया है कि फसलों पर असर पडने की घटनाओं से कीमतों में बढ़ोतरी, खाद्य सुरक्षा और यहाँ तक कि लोगों में अशांति फैल सकती है।

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जलवायु परिवर्तन को लेकर चेतावनी देता है ये अध्ययन
अध्ययन से यह भी पता चलता है कि कंप्यूटर मॉडल इन खतरों का कितने अच्छे से आकलन करते है और साथ ही ये जेट स्ट्रीम के वायुमंडलीय गतिविधि को दिखाने में अच्छे है। जेट स्ट्रीम हवा की धाराएं है जो दुनिया के कई सबसे महत्वपूर्ण फसल उत्पादक क्षेत्रों में मौसम के पैटर्न को संचालित करती है। अध्ययनकर्ताओं के अनुसार, यह अध्ययन खाद्य क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में हमें एक चेतावनी देता है।

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