ज्ञानवापी सर्वे :मुस्लिम पक्ष इलाहाबाद HC के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जाने इलाहाबाद HC ने अपने फैसले में क्या कहा

(अवैस उस्मानी)-ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे के इलाहाबाद हाई कोर्ट  के आदेश को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। मुस्लिम पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट से ASI सर्वे पर रोक लगाने की मांग किया। मुस्लिम पक्ष ने CJI की पीठ में मेंशनिंग करते हुए कहा ASI सर्वे पर रोक लगनी चाहिए, हमने आपको इलाहाबाद HC का आदेश भी ईमेल कर दिया है। CJI ने कहा हम ईमेल देखकर बताते हैं। ज्ञानवापी परिसर में अब ASI का सर्वे होगा। इलाहाबाद HC ने ज्ञानवापी का सच पता लगाने के लिए पूरे परिसर की वैज्ञानिक सर्वे की इज़ाजत दे दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खरिज करते हुएज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे को मंजूरी दे दिया। इलाहाबाद कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करते हुए कहा कि सर्वे की कवायद न्याय के हित में होगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीधे तौर पर जिला अदालत, वाराणसी के आदेश बहाल किया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश में कोई बदलाव नहीं है, सिर्फ ASI कि ओर दिए गए आश्वासन को दर्ज कर लिया है। साथ ही स्पष्ट किया है कि ASI की मंशा पर शक करने का कोई मतलब नहीं है।

Read also – यौन शोषण मामले में बृजभूषण के खिलाफ आरोप तय करने पर 9 अगस्त से सुनवाई शूरू होगी

ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे की इजाज़त देते हुए इलाहाबा हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ASI साफ कर चुका है कि मस्जिद की इमारत को कोई नुकसान नहीं होगा।तो  इस पर भरोसा न करने की कोई वजह नहीं है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि सर्वे की कवायद न्याय के हित में है, इससे अदालत को भी अपने निष्कर्ष तक पहुंचने में मदद मिलेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि निचली अदालत तेजी से सुनवाई करे। इलाहाबाद HC ने कहा मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज होने का य मतलब नहीं है कि सर्वे के दौरन वो मौके पर मौजूद नहीं रहेंगे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करने के बाद 27 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। मुस्लिम पक्ष ने दलील दिया था कि खुदाई से 1000 साल पुराने स्ट्रक्चर को नुकसान पहुंच सकता है, सर्वे का आदेश देते समय जज ने न्यायिक विवेक का इस्तेमाल नहीं किया, हम नहीं कह रहे कोर्ट आदेश नहीं दे सकती, ASI पर भी हमको संदेह नहीं, लेकिन लेकिन कोर्ट ने खुदाई से भवन को नुक्सान होने की संभावना पर विचार नहीं किया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से पूछा था कि रडार प्रणाली से भी सर्वे हो सकता है, आपको सर्वे से क्या दिक्कत है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने कहा सुप्रीम कोर्ट में ASI ने भरोसा दिया है एक हफ्ते तक खुदाई नहीं होगी, लेकिन हफ्ते भर बाद अगर खुदाई हुई तो भवन ध्वस्त हो सकता है, वैधानिक आदेश से अवैधानिक करवाई की जा रही है। मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा मंदिर और मस्जिद के लिए स्टेट्यूटरी बॉडी में आपस में कोई विवाद नहीं है। थर्ड पर्सन ने सर्वे की अर्ज़ी दखिल की है। मुस्लिम पक्ष ने कहा अदालत ने अपने आदेश ने यह नहीं बताया कि साइंस्टिफक सर्वे क्यों जरूरी है। सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिन्दू पक्ष से पूछा था कि खुदाई से आपका क्या मतलब है, आपकी याचिका और कोर्ट के आदेश में खुदाई किस तरह की जाएगी इसके बारे में नहीं बताया गया है, अगर वहां कोई बड़ा पत्थर मिलता है तो उसको हटाएंगे और फिर वहां नहीं रखेंगे। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूछा था कि क्या मशीनों और रडार को कोर्ट में पेश किया जा सकता है, ASI की टीम अभी वहां पर क्यों मौजूद है, आखिर ASI को इतनी जल्दी क्यों है। हिंदुपक्ष ने कहा था कि कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि खुदाई के दौरान स्ट्रक्चर को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचना चहिए, खुदाई के दौरान स्ट्रक्चर को कोई नुकसान पहुंचाया जाएगा

इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान ASI ने इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले में हलफनामा दाखिल करके कहा था कि सर्वे के लिए स्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाए बिना सबसे पहले GPR मेथड का इस्तेमाल किया जाएगा, स्ट्रक्चर को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। कोर्ट को रडार मैपिंग के मैथेड के बारे में बताया, हमने 24 जुलाई को 9 बजे सर्वे शुरू किया था। कोर्ट ने ASI ने पूछा कि आपको सर्वे पूरा करने में कितना समय लगेगा। ASI ने कोर्ट को बताया कि हमने अभी सर्वे शुरू ही किया, सिर्फ 5 % काम हुआ है, हम 31 जुलाई तक सर्वे का काम खत्म कर लेंगे। ASI के अधिकरी ने कोर्ट को बताया कि स्ट्रक्चर को बिना किसी नुकसान के सर्वे पूरा किया जाएगा। ASI ने कहा कि IIT कानपुर के टीम को GPR और राडार सर्वे के लिए बुलाया जाएगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूछा था कि ASI की कानूनी पहचान क्या है?कब इसकी उत्पत्ति हुई और किस उद्देश्य से इसे लाया गया? ASI ने कहा कि वह सर्वे के दौरान स्ट्रक्चर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा, वहां पर ब्रश का इस्तेमाल किया सकता है। ASI ने कहा कि ASI देश में संरक्षित स्मारकों, इमारतों और चीजों की देखभाल करता है, आर्केलॉजिकल एक्टिविटी की मोनिटरिंग करता है, इसकी प्रथमिकता संरक्षित स्मारकों का संरक्षण करना है। यूपी सरकार ने कहा था कि सर्वे का आदेश से केवल सच्चाई का पता लगाने के लिए उससे कोई नुकसान नहीं होगा, मुझे नहीं लगता कि वादी और प्रतिवादी के बीच कोई समस्या हो सकती है। यूपी सरकार ने कहा कि हमारा काम कानून व्यवस्था का बनाये रखने का है, कानून व्यवथा बनाए रखने के लिए हम किसी का पक्ष नहीं ले सकते हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूछा कि मुख्य मामला दो साल क्यों लंबित है, मामले के जल्द निपटारे का कोई निर्देश क्यों नहीं है। मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि उनका उत्पीड़न किया जा रहा है, मामले में 9 अलग अलग याचिकाएं लंबित है, काशी विश्वनाथ ट्रस्ट की तरफ से कोई याचिका दाखिल नहीं कि गई, थर्ड पार्टी मामले में याचिकाएं दाखिल कर रही है, सुप्रीम कोर्ट में याचिका की मेन्टेनबिल्टी का मामला मामला लंबित है, अगर सुप्रीम कोर्ट मामले में फैसला दे देता हैं तो निचली अदालत की कार्यवाही का कोई मतलब नहीं रह जायेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *