Fake Medicine: बीमारी से बचने के लिए दवा की जरूरत होती है।अगर दवा नकली है तो वह हेल्थ ( Health) को काफी नुकसान भी पहुंचा सकती है।ऐसे में नकली और असली दवा की पहचान करना बेहद जरूरी है।बीमारियों से ठीक होने के लिए लोग दवा खाते है।डॉक्टर की सलाह पर दवा खाने से रोगी जल्दी ठीक हो जाता है।लेकिन मार्केट में इन दिनों कई नकली दवाइयां भी आ गई है। जो धड़ल्ले से बिक रही है।
बारकोड से करें पहचान
नकली दवा का सेवन जानलेवा हो सकता है।ऐसे में जब भी आप दवा खरीदने के लिए मेडिकल शॉप पर जाएं तो इन तरीके से असली व नकली दवा की पहचान कर सकते है।आपको बता दें कि 100 रुपए की ऊपर की सभी दवाओं पर बारकोड लगाना अनिवार्य होता है।ऐसे में आप बिना बारकोड की किसी भी दवा को खरीदने से बचें।
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जानलेवा साबित हो सकती है नकली दवाएं
दवा बीमारी के समय शरीर को स्वस्थ बनाए रखने और गंभीर स्थिति में जीवन रक्षक का काम करती है। स्वास्थ्य के लिए जीवनदान कही जाने दवाएं यदि मुनाफाखोरी का जरिया बन जाए तो सेहत के लिए दुश्मन बन जाती है।हाल में पुलिस ने नकली दवाइयों के बड़े गिरोह को पकड़ा।पुलिस ने जब कड़ाई से पूछताछ की तो आरोपियों ने सनसनीखेज खुलासे किए। पुलिस ने आरोपियों के पास अलग अलग ब्रांड की नकली दवाइयां भी बरामद की।
QR code कोड से करें पहचान
भारत सरकार ने नकली दवा पर लगाम लगाने के लिए हाल में क्यू आर कोड सिस्टम भी जारी कर दिया है।आप मोबाइल में स्कैन करके ये पता लगा सकते है कि दवा असली है या नकली। कई बार जागरूकता के अभाव में लोग QR code दवा की दुकान में स्कैन नहीं करते है जिसका खामियाजा कभी-कभी मरीजों को भुगतना पड़ता है।दवा बनाते समय कंपनी हर बार यूनिक कोड जारी करती है।क्योंकि दवाइयों पर बना यूनिक कोड एडवांस वर्जन का होता है,साथ ही यह सेंट्रल डेटाबेस एजेंसी के द्वारा जारी किया जाता है। हर दवा के साथ उसका यूनिक क्यूआर कोड भी बदला जाता है।ऐसे में में किसी भी दवा पर सिर्फ एक बार ही बारकोड का यूज होता है।