स्तन कैंसर महिलाओं में होने वाला सबसे आम प्रकार के कैंसर में से एक है। भारत ही नहीं दुनिया भर में, इस बीमारी का लगातार प्रसार हो रहा है। इस पर अध्ययनों के अनुसार विश्व स्तर पर, स्तन कैंसर के मामले 2030 तक 30 मिलियन तक बढ़ सकते हैं। आहार, शरीर के वजन और शारीरिक गतिविधि भी स्तन कैंसर के कारण हो सकते हैं। खाने की गुणवत्ता से रोग के विकास और उसके निदान में अहम भूमिका होती है। वहीं अगर रोग का इलाज हो रहा हो तो भी आहार उसे शीघ्र ठीक होने की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाता है। Breast cancer
पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें
विशेषज्ञों का कहना है की एक स्वस्थ और पौष्टिक आहार आपके स्तन कैंसर के विकास के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। विशषज्ञों ने ऐसे में खाने की आदतों के साथ इसे रोकने के लिए खाने के बेहतर विकल्प साझा किये हैं। जैसे की खाने में प्लांट बेस्ड फ़ूड होने चाहिए। और बहुत सारी सब्जियों, फलों और साबुत अनाज से भरने से भोजन पोषक तत्वों से भरपूर रहता है। सब्जियां और फल विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर स्त्रोत हैं। वहीं हरी पत्तेदार फूड्स और सब्जीयों का खाने में इस्तेमाल करने वाले व्यक्तियों में एस्ट्रोजन का स्तर कम पाया गया, जो स्तन कैंसर के कम जोखिम से संबंधित हैं। जामुन जैसे फल फाइटोकेमिकल्स से भरपूर होते हैं जो एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करते हैं और सूजन और कैंसर के विकास को रोक सकते हैं।
सोया आधारित फूड्स खाने में करें शामिल
एस्ट्रोजेन का उच्च स्तर, एक महिला प्रजनन हार्मोन, स्तन कैंसर के जोखिम से महत्वपूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है। “सोया में आइसोफ्लेवोन्स होते हैं जो आंत में एस्ट्रोजन रिसेप्टर्स के साथ जुड़ते हैं और एस्ट्रोजन अवशोषण को कम करते हैं। टोफू, टेम्पेह, मिसो, सोयाबीन और सोया दूध जैसे सोया खाद्य पदार्थ शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर को नियंत्रण में रखने में फायदेमंद हो सकते हैं।
लीन प्रोटीन करे आहार में शामिल
रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट जैसे बेकन, सॉसेज और हॉट डॉग कुछ प्रकार के कैंसर से जुड़े रहे हैं। अंडे, पोल्ट्री, बीन्स और फलियां लीन प्रोटीन के स्रोत हैं जो रेड मीट के उत्कृष्ट विकल्प हैं।
गुड फैट का करें सेवन
ओमेगा -3 फैटी एसिड जैसे अच्छे वसा सूजन को कम करने और कई पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। “ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड के बीच सही अनुपात होना बहुत जरुरी है। दोनों फायदेमंद होने के बावजूद, अधिक मात्रा में ओमेगा-6 सूजन को बढ़ा सकता है, जबकि ओमेगा-3 इसका विरोधी है। यह शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा करता है।