Ganesh Chaturthi:क्यों मनाया जाता है गणेश चतुर्थी का पर्व? जानिए महत्व और इतिहास

(अजय पाल)Ganesh Chaturthi:देशभर में आज गणेश चतुर्थी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। हर तरफ गणपति बप्पा मोरया की गूंज सुनाई दे रही है. देश के अलग-अलग राज्यों में गणेश चतुर्थी का जश्न देखने को मिल रहा है.मुंबई के लालबागचा राजा पंडाल में गणेश चतुर्थी के समारोह में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली।कई जगहों पर चंद्रयान-3 की थीम पर भी पंडालों को तैयार किया गया है।

विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता कहे जाने वाले भगवान श्री गणेश का जन्मोत्सव 19 सितंबर यानी आज से देशभर में मनाया जा रहा है। गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी, कलंक चतुर्थी के नाम से भी से भी जाना जाता है.हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना गया है। इसलिए किसी भी शुभ काम को करने भगवान गणेश की पूजा की जाती है।आज से गणपति बप्पा की 10 दिनों के लिए पूजा अर्चना शुरू हो गई. गणपति बप्पा  की पूजा अर्चना के लिए सुबह से ही मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है शहर में जगह जगह श्रद्धालुओं ने गणपति के अनोखे और खूबसूरत पंडाल बनाए हैं,जो आकर्षण का केंद्र बने हैं। बता दे कि भगवान गणेश के जन्म के रुप में गणेश चतुर्थी मनायी जाती है। भगवान गणेश को गजानन एकदंत .वक्रतुंड,सिद्धि विनायक समेत कई नामों से जाना जाता है।300 से 800 तक है मूर्तियों के दाम-इस बार बाजार में ईको फ्रेंडली गजानन की मूर्ति की मांग अधिक है। जिसके चलते मूर्तिकारों ने भी इसी पर फोकस किया है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ को मूर्ति निर्माण में इस्तेमाल नहीं किया गया है। इस बारे में हाईवे स्थित मूíतकार रमेश कुमार ने बताया कि इस बार बड़ी मूíतयों के तो बहुत कम आर्डर मिले हैं। लेकिन, छोटी-छोटी मूíतयों की अच्छी बिक्री हुई है। इनकी कीमत 300 से लेकर 800 रुपये तक है। पर्यावरण की स्वच्छता को देखते हुए ईको फ्रेंडली मूर्तियों का निर्माण किया गया है।

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