Gravity: कहां पाया जाता है सबसे ज्यादा गुरुत्वाकर्षण बल? NASA ने किया शोध..

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Gravity: इस साल अप्रैल महीने में ही भीषण गर्मी पड़ रही है ऐसे में अगर आप गर्मियों की छुट्टियों मनाने के लिए कैंचीधाम या नैनीताल जाने का प्लान बना रहे हैं तो अल्मोड़ा जाने पर आपको एक नया अनुभव मिल सकता है। NASA ने अल्मोड़ा जिले में कसार पर्वत पर अध्ययन कर ये पाया है कि वहां देवी मंदिर के आसपास का पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट का हिस्सा है। या यूं कहें कि कसार पर्वत की धरती में विशाल भू-चुबकीय पिंड हैं।

दरअसल, गुत्वाकर्षण बल विश्व भर में एक जैसा नहीं है। दुनिया में तीन स्थान अविश्वसनीय चुंबकीय शक्ति के केंद्र हैं। इनमें से एक उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (NASA) ने अल्मोड़ा जिले में कसार पर्वत पर अध्ययन किया और पाया कि कसार देवी मंदिर के आसपास का पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट का हिस्सा है। नासा जब अध्ययन करने के लिए आगे बढ़ा तो उसने कसार पर्वत की अविश्वसनीय कॉस्मिक एनर्जी को देखा।

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नासा ने कहा कि कसार पर्वत की धरती में विशाल भू-चुबकीय पिंड हैं। इसलिए इस क्षेत्र में बाकी जगहों से अधिक गुरुत्वाकर्षण बल है। नासा ने कसार पर्वत पर वैन एलेन बेल्ट बनने की वजहों को खोजने में काफी समय लगाया। दक्षिण अमेरिका के पेरू में माचू-पिच्चू और इंग्लैंड में स्टोन हेंग में काफी समानताएं हैं, साथ ही उत्तराखंड में कसार देवी मंदिर के आसपास के क्षेत्र में भी। तीनों स्थानों पर चुंबकीय शक्ति का विशिष्ट पुंज पाया गया है। यही कारण है कि इन तीन स्थानों पर ध्यान देने से मन शांत होता है।

अल्मोड़ा के कसार देवी मंदिर को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कभी भी महत्व नहीं दिया गया। लेकिन नासा के इस क्षेत्र में भू-चुंबकीय प्रभाव की पुष्टि करने के बाद यहां बहुत से लोग मेडिटेशन का अनुभव लेने आने लगे हैं। कसार देवी मंदिर के आसपास एक पॉइंट जीपीएस 8 है, जिसे नासा ने ग्रेविटी पॉइंट बताया है। नासा ने जीपीएस-8 को मुख्य मंदिर के द्वार के बायीं ओर चिह्नित किया है। स्थानीय लोग कहते हैं कि कसार देवी मंदिर दूसरी शताब्दी का है। नवंबर से दिसंबर तक हर साल कसार देवी मेला होता है।

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कहा जाता है कि 1948 में बिड़ला परिवार ने कसार देवी का मौजूदा मंदिर बनाया था। 1950 के दशक में यहां शिव मंदिर भी बनाया गया था। बताया जाता है कि स्वामी विवेकानंद 1890 में यहां आए थे। यहां की एक अकेली गुफा में उन्होंने पूरी तरह से गहन अध्ययन किया था। यहां बहुत से पश्चिमी साधक भी आ चुके हैं। क्रैंक रिज नाम से भी इस क्षेत्र को जाना जाता है। 1980-90 के दशक के हिप्पी आंदोलन में ये क्षेत्र बहुत प्रसिद्ध हुआ। कसार देवी मंदिर में पश्चिमी बौद्ध शिक्षक रॉबर्ट थुरुमैन, तिब्बती बौद्ध गुरु लामा अंगारिका गोविंदा और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर भी आए हैं। यहां डीएस लॉरेंस, कैट स्टीवन्स, बॉब डिलान, जॉर्ज हैरिस और डेनमार्क के एल्फ्रेड सोरेनसन भा आ चुके हैं।

कसार देवी मंदिर धार्मिक और पर्यटन के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह पृथ्वी से ठीक बाहर मौजूद मैग्नेटोस्फियर से संबंधित है। धरती के मैग्नेटोस्फियर के कारण भारी मात्रा में एनर्जी भरी हुई चार्ज्ड पार्टिकल्स की लेयर बनती है। वैन एलन रेडिएशन बेल्ट इसी का नाम है। नासा के अध्ययन से पता चलता है कि पृथ्वी का भू-चुबकीय क्षेत्र सौर पवन को रोककर ऊर्जावान कणों को बिखेरकर वायुमंडल को नष्ट होने से बचाता है। इस बेल्ट का नाम इओवा यूनिवर्सिटी के अंतरिक्ष विज्ञानी जेंस वैन एलन पर रखा गया है।

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