देश का ‘ग्रोथ इंजन’ बना राज्य, पिछले दो दशक में GSDP राष्ट्रीय औसत से ज्यादा

Gujarat – गुजरात सरकार के मुताबिक राज्य को लंबे समय से भारत के विकास इंजन के रूप में मान्यता मिली है। मजबूत आर्थिक बुनियादों के साथ 2002-03 से 2022-23 तक 15 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर के साथ गुजरात लगातार सकल राज्य घरेलू उत्पाद के मामले में देश में सबसे तेजी से बढ़ने वाले राज्यों में से एक रहा है। जीएसडीपी का आंकड़ा राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है।

भारत के केवल छह प्रतिशत क्षेत्रफल और पांच प्रतिशत आबादी के साथ गुजरात सबसे ज्यादा औद्योगिक रूप से विकसित राज्यों
में से एक है।आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा कीमतों पर अनुमानित गुजरात वित्त वर्ष 2022-23 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में लगभग आठ प्रतिशत का योगदान देता है। वित्त वर्ष 2022-23 में राज्य की जीएसडीपी अनुमानित 22.61 लाख करोड़ रुपये थी।अर्थशास्त्री हेमंत शाह ने पिछले कुछ वर्षों में गुजरात की जीएसडीपी में बढ़ोतरी के बारे में बताया कि गुजरात का ग्रोथ रेट, देश के जीडीपी के ग्रोथ रेट से ज्यादा रहा है।आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 तक राज्य के जीएसडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी करीब 36.7 प्रतिशत थी।

गुजरात के देश के मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने की कहानी भी आंकड़ें बता रहे है। इसके मुताबिक वर्ष 2016-17 से लगातार चौथी बार भारत के औद्योगिक उत्पादन में पहले नंबर पर रहा है। वित्त वर्ष 2019-20 तक गुजरात भारत के कुल 28,479 कारखानों में से 11.6 प्रतिशत हिस्सेदारी गुजरात की है और सबसे ज्यादा कारखानों के मामले में देश में ये दूसरे नंबर पर है।

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जीसीसीआई के कार्यकारी सदस्य सचिन के. पटेल के मुताबिक गुजरात सरकार की व्यापार अनुकूल नीतियों ने इसके एमएसएमई आधार को बढ़ावा दिया है।इस वृद्धि का असर रोजगार और श्रमिकों के जीवन स्तर पर पड़ा है।आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण यानी पी-एल-एफ-एस की सालाना रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020-21 में गुजरात में श्रम बल भागीदारी दर 44.3 प्रतिशत और सभी आयु समूहों के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात यानी डब्ल्यूपीआर 43.3 प्रतिशत था। बेरोजगारी दर 2.2 प्रतिशत थी। ये प्रमुख औद्योगिक राज्यों में सबसे कम बेरोजगारी दर थी।

सिरेमिक फैक्ट्री में काम करने वाले जगदीश चौधरी का कहना है कि ये उद्योग सिर्फ गुजरात के ही नहीं बल्कि कई दूसरे राज्य से आए लोगों को रोजगार दे रहा है।गुजरात सरकार के मुताबिक बढ़ती अर्थव्यवस्था की वजह से राज्य ने सामाजिक क्षेत्र, खास तौर पर शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में भी अच्छी प्रगति की है।

गुजरात में 2001-02 से 2021-22 तक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 41 प्रतिशत और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 37 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। नवंबर 2022 के अंत में राज्य में कुल 319 सीएचसी,1463 पीएचसी और 6575 उप-केंद्र थे।गुजरात में 2001 में केवल नौ मेडिकल कॉलेजों के मुकाबले आज 30 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज हैं।

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पिछले दो दशक के दौरान राज्य ने शिक्षा के क्षेत्र में काफी प्रगति की है। आंकड़ों के मुताबिक प्राथमिक विद्यालय में ड्रॉपआउट दर 1999-00 में 22.30 प्रतिशत से काफी कम होकर 2020-21 में 1.32 प्रतिशत हो गई है। इसी तरह कक्षा एक से आठ तक ड्रॉपआउट दर 1999-00 में 41.48 प्रतिशत से घटकर 2020-21 में 3.07 प्रतिशत हो गई है।

भारत का पहला विद्या समीक्षा केंद्र 2019 में बनाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल, 2022 में इस केंद्र का दौरा किया और राज्यों से शिक्षा के समग्र विकास के लिए गुजरात के वीएसके मॉडल की स्टडी करने और उसे अपनाने के लिए कहा। विश्व बैंक ने वीएसके को ग्लोबल बेस्ट प्रैक्टिस माना है।वाइब्रेंट गुजरात समिट 2024 के आयोजन से राज्य में विकास की रफ्तार और तेज होने की उम्मीद है।

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