Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले पर सुनवाई के दौरान बोले CJI- ‘अपनी-अपनी जगह जारी रहे पूजा और नमाज’

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के व्यास तहखाने में पूजा के खिलाफ मस्जिद कमेटी की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मस्जिद पक्ष के वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि निचली अदालत ने आदेश लागू करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया था, लेकिन सरकार ने इसे तुरंत लागू कर दिया. हाईकोर्ट से भी हमें राहत नहीं मिली है मगर अब सुप्रीम कोर्ट को इस पर तुरंत रोक लगानी चाहिए। वहीं CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई करते हुए कहा है कि ‘अपनी-अपनी जगह पर पूजा और नमाज जारी रहे’।

पूजा पर तत्काल रोक लगाने की मांग पर मस्जिद पक्ष को SC से झटका

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले पर नोटिस जारी किया और किसी अन्य तारीख पर सुनवाई के संकेत दिए। हालांकि, मस्जिद पक्ष के वकील ने पूजा पर तत्काल रोक लगाने की मांग करते हुए अपनी दलीलें पेश कीं और इस दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि तहखाने का प्रवेश द्वार दक्षिण से है और मस्जिद का प्रवेश उत्तर से, दोनों एक दूसरे को प्रभावित नहीं करते हैं इसलिए हमारा निर्देश है कि Gyanvapi में फिलहाल पूजा और नमाज दोनों अपने-अपने स्थान पर जारी रखें।

इससे इतर मामले में सुनवाई के दौरान व्यास परिवार के वकील श्याम दीवान ने औपचारिक नोटिस जारी करने का विरोध किया है और कहा कि निचली अदालतों में मामला अभी तक पूरी तरह से सुलझा नहीं है। इस समय सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है।

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दरअसल, Gyanvapi केस में अंजुमन मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने SC में इलाहाबाद HC के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देने वाले निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा गया था। यह समिति वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करती है। निचली अदालत ने 31 जनवरी को अपने आदेश में हिंदुओं को व्यास तहखाने में पूजा करने की इजाजत दे दी थी।

इसके बाद समिति ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां 26 फरवरी को उनकी याचिका खारिज कर दी गई। हाई कोर्ट ने कहा था कि ज्ञानवापी के दक्षिणी बेसमेंट में स्थित व्यास जी के बेसमेंट के अंदर पूजा रोकने का उत्तर प्रदेश सरकार का 1993 का फैसला अवैध था। बिना किसी लिखित आदेश के राज्य की अवैध कार्रवाई से पूजा रोक दी गई थी।

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