(आवेस खान): सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की ज़मानत याचिका पर सुवनाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सामान्य आईपीसी के आरोप हैं, ऐसे में जमानत क्यों नहीं दी जानी चाहिए, खासतौर पर महिला के मामले में, जबकि करीब ढाई महीने से जेल में है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने ज़मानत याचिका पर 3 अगस्त को नोटिस जारी किया था और 6 हफ्ते में जवाब मांगा था, क्या ज़मानत के मामले में जवाब दाखिल करने के लिए इतना समय दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा क्या यह गुजरात हाई कोर्ट के काम करने का तरीका है ? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कल दोपहर 2 बजे से मामले पर तीस्ता कि जमानत पर सुनवाई जारी रहेगी।
सुनवाई के दौरान तीस्ता सीतलवाड़ के वकील कपिल सिब्बल 24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ टिप्पणी की। अगले ही दिन 25 तारीख़ को FIR दर्ज हो गयी, यह FIR सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के आधार पर ही दर्ज हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि किन आधारों पर एफआईआर दर्ज हुई, क्या सामग्री है आपके पास, हिरासत के दौरान में पूछताछ में कुछ मिला। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मैं मेरिट पर नहीं जा रहा हूं, याचिकाकर्ता ने गुजरात में हुए दंगों के बाद पूरे राज्य प्रशासन को बदनाम कर दिया। 9 मुख्य मामलों में एक गुलबर्गा सोसायटी में हुआ, जिसमें एसआईटी का गठन अदालत ने किया।
गुजरात सरकार ने कहा कि राज्य किसी भी आरोपी को स्पेशल ट्रीटमेंट देने के खिलाफ है, याचिकाकर्ता के साथ विशेष व्यवहार नहीं किया जाना चहिये, याचिकाकर्ता को दूसरे आम आरोपियों की तरह हाई कोर्ट जाना चहिये सीधे सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मांगना चाहिए। गुजरात सरकार ने कहा कि 2002 में दंगा हुआ,मामले में जांच की गई, कई आरोपियों की गिरफ्तारी हुई, याचिकाकर्ता ने पूरे राज्य प्रशासन की निंदा करते हुए दाखिल की थी, आरोप ऐसी प्रकृति थी कि न्यायालय इनकार नहीं कर सकता था, न्यायालय ने 9 प्रमुख मामलों का चयन किया है और उनमें से एक गुलबर्ग समाज का मामला है, सुप्रीम कोर्ट ने मामले में SIT बनाई, SIT ने जांच के बाद चार्जशीट दाखिल की, दंगों के 4 साल बाद जकिया जाफरी के नाम पर नई याचिका दाखिल की जिसमें मुख्यमंत्री समेत कई लोगो के नाम लिया गया, जिसमें SIT के खिलाफ गंभीर आरोप लगाये गये, कोर्ट ने बाद में SIT की रिपोर्ट पर मुहर लगाई।
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गुजरात सरकार ने हलफनामा देकर तीस्ता की जमानत का विरोध किया है। सरकार ने कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ ने एक वरिष्ठ राजनीतिक नेता के इशारे पर साजिश रची और इसके लिए उन्हें बड़ी रकम मिली। सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को 25 जून को गुजरात पुलिस ने 2002 के गुजरात दंगों के मामले में कथित तौर पर सबूत गढ़ने और गवाहों को गुमराह करने के आरोप में गिरफ्तार किया था ताकि आरोपियों के खिलाफ दोष सिद्ध हो सके।