Stubble Burning :पंजाब के फिरोजपुर जिले में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने ये जानकारी दी। हालांकि पराली जलाने की घटनाएं पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं, लेकिन कम मामलों के चलते प्रशासन को उम्मीदें बंधी हैं।हमारे यहां 1,83,500 हेक्टेयर खेत में बासमती के लिए है। हमने पराली जलाने के मामलों पर बैठक की थी। पता चला कि पिछले साल 293 मामले थे और इस साल हमने सिर्फ 155 मामले दर्ज किए हैं। जिला प्रशासन किसानों को पराली जलाने से नुकसान के बारे में जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित कर रहा है, ताकि कोई भी किसान पराली न जलाए।हमने पिछले कुछ दिनों तक नियमित निगरानी की। हमने पाया कि इस साल पराली के मामलों में कमी आई है। इसलिए मैं अपने सभी अधिकारियों को शुभकामनाएं देना चाहता हूं।
Read also–जंतर-मंतर पर फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन, 50 से ज्यादा लोग हिरासत में लिए गए
दूसरी ओर किसानों को लगता है कि वायु प्रदूषण का सारा दोष उन पर मढ़ना गलत है। उनका मानना है कि सरकार को समस्या का स्थाई हल तलाशना चाहिए। हम इस बात से नाखुश हैं कि ये पराली कहां जाए। इसके लिए सरकार ने जरूर कुछ किया होगा। अगर वो हमारे साथ होते तो ये मामला सुलझ गया होता।उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की हालत अलग है। यहां मुख्यमंत्री और स्थानीय अधिकारियों के सख्त निर्देशों के बावजूद किसान पराली जला रहे हैं। रात के अंधेरे का फायदा उठाकर किसान पराली जलाते हैं। इससे इलाके में वायु प्रदूषण बढ़ गया है। अब कृषि विभाग पराली जलाने के मामलों की सैटेलाइट के जरिए निगरानी कर रहा है। सामने आने वाले हर मामले की जांच की जा रही है।
आर. एन. सिंह, उप निदेशक कृषि, इटावा:पराली जलाने की घटनाएं, अभी जिले में कुल 29 घटनाएं प्रकाश में आई हैं। जिनकी जांच कराई गई। और जांच कराने के बाद पाया गया कि कुल 18 घटनाएं, वास्तविक घटनाएं पराली जलने की हैं। शेष घटनाएं थोड़े-बहुत एरिया में, मतलब कि एकाध स्क्वायर मीटर एरिया में जलने की घटनाएं थीं। तो उसको, किसान के खेत में नहीं थीं। किसानों को पराली न जलाने की हिदायत दी गई है। आदेश न माने वालों को नोटिस भेजा गया है और जुर्माना लगाया जा रहा है।
संजय कुमार, एसएसपी, इटावा:किसान ही हमारे देश का ऐसा एक आधारविंदु है,जिसकी वजह से सभी निश्चित तौर से उसको धन्यवाद देते हैं।हमारी जो आर्थिक संरचना है वो किसानों पर ही आधारित है। मैं किसानों के लिए निश्चित तौर से कहूंगा कि वो जो भी निर्देश है, पराली के संबंध में उसका पालन करें और नियमानुसार उसका ऐसा जो व्यवस्थापन है वो करें, जिसकी वजह से पराली जलाने की स्थिति पैदा ही न हो। अधिकारियों के मुताबिक वायु प्रदूषण का स्तर उत्तर भारत के ज्यादातर इलाकों में बढ़ गया है। इसकी मुख्य वजह है तमाम निर्देशों के बावजूद किसानों का पराली जलाना जारी रखना।
( Source PTI )