मंकी कैप से जुड़ी दिलचस्प कहानी, जिसे पहनते ही जाड़ा हो जाता है छूमंतर

ठंड का मौसम आते ही लोगों के गरम कपडे निकल आते है तो इसी बीच आज हम आपको बताएंगे मंकी कैप के बारे में.. मंकी कैप से न सिर्फ आपका सिर पूरा ढका रहता है, बल्कि कान और गले को भी ठंड नहीं लगती। केवल मुंह, नाक और आंखें खुली रहती हैं। भयंकर ठंड से बचाने वाली मंकी कैप आई कहां से?

मंकी कैप असल में बेलक्‍लावा का देसी रूप है। 1854 में क्रीमिया युद्ध के दौरान, बेलक्‍लावा की लड़ाई चल रही थी। ब्रिटिश सैनिक वहां की भयानक ठंड सहन नहीं कर पा रहे थे। जब यह खबर ब्रिटेन तक पहुंची तो लोगों ने सैनिकों के लिए कपड़े बुनने शुरू कर दिए। उन कपड़ों में ऐसी टोपियां भी थीं जो सैनिक अपने हेलमेट के नीचे पहन सकते थे। सैनिकों ने उन टोपियों को बेलक्‍लावा ही कहना शुरू कर दिया।
सर्द इलाकों में ड्यूटी करने वाले सैनिकों के बीच बेलक्‍लावा खासी लोकप्रिय हुई।

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आज भी दुनियाभर की सेनाओं में बेलक्‍लावा या उसके आल्‍टर्ड वर्जन खूब पहने जाते हैं। ठंड में गर्मी पाने से इतर बेलक्‍लावा का इस्‍तेमाल कई तरह के खेलों में होता है। अपराधियों ने भी बेलक्‍लावा का जमकर इस्‍तेमाल किया।

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