Kullu Dussehra:हिमाचल प्रदेश:17वीं शताब्दी की ऐतिहासिक परंपराओं के साथ हफ्ते भर चलने वाला अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा महोत्सव मंगलवार को भगवान रघुनाथ की प्रसिद्ध रथ यात्रा के साथ शुरू हुआ। इसमें 300 से ज्यादा देवी- देवताओं की उपस्थिति देखी गई।इस साल पहली बार 15 देशों के अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने कार्निवल परेड में अपनी कला का प्रदर्शन किया।
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इसे देखने के लिए बड़ी तादाद में लोग इकट्ठा हुए।ये देखिए जो आपका कुल्लू का दशहरा है, इसमें बहुत ज्यादा महत्ता माता हिडंबा को दी जाती है। क्योंकि देखिए हिमाचल प्रदेश एक जो है आपका देव भूमि के नाम से जाना जाता है और इस देव भूमि में दो विशाल जो होते हैं महाकुंभ, एक मंडी की शिवरात्रि और दूसरा कुल्लू का दशहरा। तो जितने भी किल्लू घाटी के देवी-देवता हैं, जनमानस हैं, उनको बेसब्री से इंतजार रहता है कुल्लू दशहरा कावियतनाम से आए कलाकारों ने कहा कि वे अपनी सांस्कृतिक लोककथाओं को साझा करना चाहते हैं और इस साल के उत्सव का हिस्सा बनने के लिए उत्साहित हैं।
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हम ये प्रेजेंट कर रहे हैं, हमारे किन्नौर को रिप्रेजेंट कर रहे हैं कि हमारा जो कल्चर है उनको दिखाना चाहते हैं। नहीं तो धीरे-धीरे न्यू जेनरेशन है, ये खत्म होता जा रहा है। हमारे बुजुर्गों ने हमारे कल्चर को आगे बढ़ाया हुआ है। हम इसको आगे बढ़ाना चाहते हैं, तभी हम ये कल्चर दिखाने आए हैं।अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ ही चंबा, तमिलनाडु, सिरमौर, लाहौल स्पीति से आए भारतीय कलाकारों ने भी परेड में हिस्सा लिया। ये हमारा चंबा का ग्रुप है और हम जो हैं यहां पर चंब्यारी फोग डांस जो है प्रेजेंट करने आए हैं, गद्दी कल्चर हमारा। तो बस वही परफॉर्म करने आए हैं चंबा टीम। समापन समारोह की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू 30 अक्टूबर को करेंगे। कुल्लू घाटी अपने देवी- देवताओं के लिए मशहूर है। ऐसी मान्यता है कि ये देवी-देवता, लोगों के दिन-प्रतिदिन के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनके आचरण में भी शामिल होते हैं। यहां हर गांव के अपने देवी और देवता होते हैं, जिनकी जीवित देवी-देवताओं के रूप में पूजा होती है।
( Source PTI )