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आदित्य एल-वन मिशन, का उद्देश्य एल-वन के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है। इसमें सात पेलोड होंगे, जो तरंग बैंडों में प्रकाशमंडल मतलब सूर्य की सतह, क्रोमोस्फीयर मतलब सूर्य के ऊपर गैस की लाल और चमकीली परत और सूर्य की सबसे बाहरी परत ‘कोरोना’ का निरीक्षण करेंगे। एन. रघुनंदन कुमार, निदेशक, प्लैनेटरी सोसायटी ऑफ इंडिया इसमें चार महीने का समय लगेगा यानी दो सितंबर के बाद चार महीने की अवधि तक ये मिशन लगभग 1.5 मिलियन, मतलब लगभग 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करेगा, ये आदित्य एल-वन करने जा रहा है और आखिरकार हम इस प्वाइंट तक पहुंचें और सूर्य का अध्ययन करने जा रहे हैं, तो कुल मिलाकर सात उपकरण हैं और अगले पांच वर्षों की अवधि में सात उपकरणों की मदद से हमारा देश सूर्य का अध्ययन करने जा रहा है।बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स आईआईए, विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ पेलोड बनाने वाला अग्रणी संस्थान है।वहीं पुणे के इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स ने मिशन के लिए सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजर पेलोड तैयार किया है।