Kamal Haasan- एक्टर कमल हासन के नेतृत्व वाली पार्टी मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) नीत गठबंधन में शनिवार को शामिल हो गई और कमल हासन की पार्टी ने लोकसभा चुनावों के लिए अपना समर्थन दिया। हासन और DMK अध्यक्ष मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने यहां पार्टी ऑफिस अन्ना अरिवलयम में समझौते को अंतिम रूप दिया।
हासन की पार्टी को संसदीय चुनाव लड़ने के लिए आवंटित सीटें की अटकलों के बीच डीएमके ने एमएनएम को 2025 के राज्यसभा चुनाव के लिए एक सीट आवंटित की.हासन और सत्तारूढ़ पार्टी के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने यहां डीएमके मुख्यालय अन्ना अरिवलयम में समझौते को अंतिम रूप दिया।
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कमल हासन ने कही कि…
कमल हासन ने कहा कि मैं और मेरी पार्टी यह चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। लेकिन हम इस गठबंधन को पूरा सहयोग देंगे। हमने हाथ मिलाया है क्योंकि यह सिर्फ एक पद के लिए नहीं है, यह देश के लिए है।अभिनेता ने आगे कहा कि हम लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन द्रमुक के नेतृत्व वाले गठबंधन को पूरा समर्थन देंगे।” उन्होंने कहा, “यह पद के बारे में नहीं है, बल्कि देश के बारे में है। इसलिए, मुझे जहां आवश्यक होगा, मैं समर्थन दे रहा हूं।” दोनों नेताओं के बीच बनी सहमति के अनुसार, एमएनएम तमिलनाडु की 39 लोकसभा सीटों और एकमात्र पुडुचेरी क्षेत्र में अभियान-संबंधित कार्य करेगा।
आपको बता दें कि एमएनएम की स्थापना 21 फरवरी, 2018 को कमल हासन ने की थी। इसके बाद उनकी पार्टी दो चुनाव लड़ी, मगर न तो लोकसभा और न ही विधानसभा में मक्कल निधि का खाता खुला। 2019 लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपनी पार्टी के टिकट पर 37 कैंडिडेट उतारे थे, मगर एक भी प्रत्याशी जीत नहीं सका।
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DMK ,कांग्रेस और AIDMK को दी चुनौती
2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में कमल हासन ने 180 सीटों पर प्रत्याशी उतारकर डीएमके, कांग्रेस और AIDMK को चुनौती दी। उनके अधिकतर प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। उनकी पार्टी MNM को लोकसभा चुनाव से भी चार लाख कम वोट मिले। खुद कमल हासन कोयंबटूर साउथ सीट से बीजेपी कैंडिडेट वान्थी श्रीनिवासन से हार गए थे। अपनी हार को कमल हासन ने लोकतंत्र की विफलता बताया था। उन्होंने कहा कि कोयंबटूर साउथ के 90 हजार लोगों ने वोट नहीं डाला। भारतीय नागरिक के तौर पर ऐसे लोगों को खुद से सवाल पूछना चाहिए कि क्या वोट नहीं देना सही फैसला था। अगर लोकतंत्र में लोग वोट नहीं डालेंगे तो ईमानदार कैंडिडेट कभी चुनाव जीत पाएगा।