Badminton Player Krishna Nagar :एथलीट कृष्णा नागर को जिंदगी ने लगातार चुनौतियां पेश की हैं लेकिन इस भारतीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ियों को अच्छे से उससे निपटना आता है जो विपरीत हालातों को अपने चेहरे पर मुस्कान के साथ अनुकूल कर लेते हैं।कृष्णा को बचपन में उनके छोटे कद की वजह से चिढ़ाया जाता था लेकिन उन्होंने अपनी उपलब्धियों से इसका जवाब दिया।कृष्णा ने छोटे कद को अपनी प्रगति में बाधा नहीं बनने दिया। उन्हें पता था कि उनके लिए द्वेष रखने वालों से निपटने के लिए यही सबसे अच्छा तरीका था।
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अपने शुरुआती सालों में आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबॉल, लंबी कूद और स्प्रिंट समेत कई खेलों में रुचि दिखाई।बैडमिंटन में उनका सफर 2017 के आखिर में जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम से शुरू हुआ। उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक में प्रमोद भगत के बाद स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय बनकर इतिहास रच दिया। इस पदक ने उनके वैश्विक खेलों की शुरुआत को यादगार बना दिया।
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पच्चीस साल का ये खिलाड़ी पेरिस पैरालंपिक में अपने खिताब का बचाव करने के लिए संयम बनाए रखने के साथ और ज्यादा जोखिम लिये बिना खेलने पर फोकस कर रहा है।एसएच6’ वर्ग में मुकाबला करने वाले कृष्णा ने पीटीआई वीडियो को दिए इंटरव्यू में बताया कि ये मेरा दूसरा पैरालिंपिक है और कुछ घबराहट है क्योंकि यह एक बड़ा टूर्नामेंट है।’’ ‘एसएच6’ श्रेणी छोटे कद के खिलाड़ियों के लिए है जो खड़े होकर प्रतिस्पर्धा करते हैं।
चार फिट छह इंच कद के कृष्णा पेरिस पैरालंपिक में चुनौती पेश करने वाले भारत के 13 खिलाड़ियों में शामिल है। टोक्यो में सफलता के बाद कृष्णा को हालांकि काफी चुनौतीपूर्ण समय का सामना करना पड़ा।चोट ने उनके खेल में रुकावट पैदा की और फिर मां के निधन से उन्हें गहरा आघात लगा। मानसिक तौर पर मजबूत इस खिलाड़ी ने हालांकि इन परेशानियों को पीछे छोड़ कर खेल में मजबूत वापसी की।कृष्णा ने कहा, ‘‘टोक्यो पैरालंपिक के बाद मेरा टखना मुड़ गया और कुछ बाकी समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन अब सब कुछ ठीक है। मेरे खेल में लगातार सुधार हो रहा है।भारतीय पैरा बैडमिंटन टीम 25 अगस्त को पेरिस रवाना होगी।