(प्रदीप कुमार )- मिशन 2024 में विपक्षी एकता को लेकर 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक होगी।सोनिया गांधी के बैठक में शामिल होने के फैसले ने यूपीए ‘संयोजक’ पद को लेकर सस्पेंस बढ़ा दिया है। मिशन 2024 में विपक्षी एकता को लेकर 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक होगी।बेंगलुरू में विपक्षी एकता के लिए बैठक का संयोजन करने वाली कांग्रेस पार्टी है।कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी इस बैठक में शामिल होंगी
सोनिया गांधी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की संयोजक है।सोनिया गांधी पहले से ही बीजेपी विरोधी दलों के गठबंधन की चेयरपर्सन हैं।सोनिया गांधी के बैठक में शामिल होने के फैसले ने यूपीए ‘संयोजक’ पद को लेकर सस्पेंस बढ़ा दिया है।दरअसल पटना में 23 जून को विपक्षी एकता के बैठक का संयोजन करने के बावजूद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ‘संयोजक’ घोषित नहीं किया गया। बेंगलुरू में यह उम्मीद और कम हो गयी है।
इस बीच 17 जुलाई को मीटिंग के पहले दिन सोनिया गांधी ने आम आदमी पार्टी समेत सभी दलों के नेताओं को डिनर पर बुलाया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने टॉप अपोजिशन लीडर्स को अगली बैठक में शामिल होने का न्योता भेजा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने एक चिट्ठी लिखकर नेताओं को बिहार के CM नीतीश कुमार की तरफ से पटना में बुलाई गई 23 जून की बैठक में उनकी भागीदारी के बारे में याद दिलाया है।
पटना में हुई बैठक में 17 दलों के नेता शामिल हुए थे। इस बार विपक्षी कुनबे को और मजबूत करने के लिए 8 और दलों को न्योता भेजा गया है। इनमें मरूमलारची MDMK,KDMK,VCK,RSP,ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), केरल कांग्रेस (जोसेफ) और केरल कांग्रेस (मणि) ने हामी भरी है। इन नई पार्टियों में से KDMK और MDMK 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान BJP के सहयोगी हुआ करती थीं।
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इससे पहले पटना में हुई बैठक में फैसला हुआ था कि अगली बैठक का संयोजन कांग्रेस करेगी। पटना में हुई बैठक के दौरान कई नेताओं ने इस बैठक के आयोजन के लिए नीतीश कुमार को बधाई के साथ धन्यवाद दिया था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘बैठक के संयोजक’ शब्द का इस्तेमाल भी किया, हालांकि उम्मीद से उलट इस बैठक के बाद मीडिया के सामने संयोजक पद पर नाम को लेकर घोषणा नहीं की गई
अब बेंगलुरू में आ रहीं सोनिया गांधी की दावेदारी मजबूत होने का कारण तीन हैं- पहला यह कि सोनिया मौजूदा ऐसे ही गठबंधन की अध्यक्ष हैं, दूसरा यह कि राष्ट्रीय दल के प्रतिनिधि के रूप में उनके पास और कोई पद नहीं है और तीसरा यह कि कांग्रेस के बगैर विपक्षी एकताके गठबंधन का अस्तित्व नहीं हो सकता है।