मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के दायरे में GST नेटवर्क, सिंघवी बोले- ये आतंक फैलाने का नया औजार

(प्रदीप कुमार ) -जीएसटी को पीएमएलए के दायरे में लाने को लेकर कांग्रेस पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार छोटे व्यवसायों को नियंत्रित करना चाहती है। आम चुनाव नजदीक हैं, इसलिए  सरकार अपने प्रतिद्वंदियों को डराने, धमकाने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए एक नया औजार लाई है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि टैक्स आतंकवाद फैलाने के लिए मोदी सरकार जीएसटी को पीएमएलए के दायरे में ला रही है।
नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस वार्ता करते हुए कांग्रेस सांसद डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आम चुनाव आ रहे हैं, इसल‍िए केंद्र सरकार द्वारा प्रतिद्वंदियों  को डराने के लिए जीएसटी को पीएमएलए के दायरे में लाया जा रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया है कि आम चुनावों से ठीक पहले, जीएसटी को पीएमएलए के तहत लाना केंद्र सरकार की छोटे और मध्यम व्यवसायों की कमर तोड़ने और उन्हें नियंत्रित एवं भयभीत रखने की साजिश है। यह भाजपा द्वारा विपक्षी नेताओं को डराने की एक और रणनीति है।
डॉ. सिंघवी ने कहा कि सरकार द्वारा इस बारे में कोई भी विचार विमर्श नहीं किया गया। ना तो संसद में और ना देश में इस बारे में कोई विचार विमर्श हुआ। बिना किसी चर्चा या बहस के 7 जुलाई, 2023 को वित्त मंत्रालय की एक गजट अधिसूचना के माध्यम से जीएसटी को पीएमएलए के तहत गुपचुप तरीके से लाया गया है। जीएसटी काउंसिल तक में इसकी चर्चा नहीं हुई। क्योंकि सरकार को मालूम था कि लागू करने से पहले यदि यह जनता के बीच में आएगा तो इसका विरोध होगा।

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डॉ. सिंघवी ने कहा कि कल 11 जुलाई को जीएसटी परिषद की बैठक में कम से कम नौ बड़े राज्यों ने जीएसटी को पीएमएलए के दायरे में लाने के मोदी सरकार के प्रस्ताव का विरोध किया। इसके विरोध का कारण यह है कि अभी भी आयात-निर्यात बहुत कम है और मंदी चल रही है। उद्योगों की कमर टूटी हुई है। जीएसटी व्यवस्था ने पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है। अब इन व्यवसायों का थोड़ी रिकवरी का समय आया तो उनपर एक और बोझ डाल दिया गया। जीएसटी को पीएमएलए के तहत लाना अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित होगा। जिन व्यवसायों पर जीएसटी लागू नहीं होता है, जो जीएसटी की परिधि में नहीं है। वह अब इस नए फैसले के बाद भयभीत रहेंगे।
उन्होंने कहा कि कई दशकों में इस तरह के मामलों में सिर्फ़ 24 दोषसिद्धि हुई हैं। इससे यह समझा जा सकता है कि इतना बड़ा ढांचा सिर्फ प्रताड़ना और दुरुपयोग के लिए ही हो सकता है।
डॉ. सिंघवी ने कई सवाल उठाए और पूछा कि जब आम चुनाव में एक साल से भी कम समय बचा है तो जल्दबाजी में ऐसा नोटिफिकेशन क्यों लाया गया? यह नोटिफिकेशन अचानक बिना विचार-विमर्श के लुका-छुपी में क्‍यों आया? क्या यह कानून विपक्षी दलों के नेताओं को और अधिक डराने के लिए लाया गया है? क्‍या मोदी सरकार डर और भय को ज्‍यादा व्यापक बनाना चाहती है?

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