लोकसभा चुनाव 2024: निचले असम क्षेत्र में विकास, बेरोजगारी और महंगाई मतदाताओं के लिए अहम मुद्दे

Loksabha Chunav 2024: निचले असम क्षेत्र में 12 जिले शामिल हैं। इनमें सबसे बड़ा बोंगाईगांव और धुबरी, कोकराझार और बारपेटा शामिल हैं।बोंगाईगांव के लोगों की तमाम राजनैतिक दलों से नाराजगी साफ दिखती है। उनका कहना है कि हर चुनाव से पहले किए गए वादे हमेशा अधूरे रहते हैं।बोंगाईगांव के लोगों की शिकायत है कि जिले के ग्रामीण इलाके हों या फिर शहरी, कहीं भी ज्यादा विकास नहीं हुआ है। लोगों का कहना है कि वे बेरोजगारी और बढ़ती महंगाई ने उनकी मुश्किलें बढ़ाई हैं।

भाजपा ने जीती 9 सीटे-  वहीं बारपेटा को असम के खास आध्यात्मिक केंद्र के तौर पर जाना जाता है। वैष्णवों और नव-वैष्णवों के लिए इस जगह की अपनी अहमियत है।बारपेटा के मंदिर और मठ असमिया संस्कृति की झलक पेश करते हैं।हालांकि धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत रखने वाले शहर के लोग को बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट की मांग कर रहे हैं।असम में लोकसभा की 14 सीटें हैं। 2019 के आम चुनावों में, बीजेपी ने नौ सीटें जीतीं थी जबकि कांग्रेस ने तीन, बदरुद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ ने एक और निर्दलीय उम्मीदवार ने एक सीट पर जीत हासिल की थी।

1.सुमन देव,निवासी, बोंगाईगांव: मोदी जी ने आया, बात किया, बहुत हुआ मंहगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार। बहुत हुआ बेरोजगारी की मार, अबकी बार मोदी सरकार। ये बोंगाईगांव जितना है, दिल्ली में वही बात है। आम मुद्दा आम आदमी के लिए, कुछ भी नहीं बदला है, खाली नेताओं का पेट भरा है, नेताओं की ब्रांडिंग हुआ है।

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2.ज्योतिर्मय बैश्य, निवासी, बोंगाईगांव:अभी यहां पर प्राइस हाइक का पब्लिक को बहुत असुविधा है। अनएम्प्लॉमेंट दूसरा बहुत असुविधा है। अभी लोगों का चिंता इसी में है कि बच्चों को कैसे पढ़ाया जाए क्योंकि सरकारी जो गवर्नमेंट स्कूल है, वो इतनी फैसिलिटी नहीं दे रहा है अभी और प्राइवेट स्कूलों का दबदबा अभी बढ़ रहा है।”

3.सुमन देव, निवासी, बोंगाईगांव: गांव में किसानों का सिंचाई का जो मूल है, कोई व्यवस्था नहीं है। शहर में आएंगे युवा, शिक्षित जो युवा वर्ग है, वो बेरोजगारी का एकदम असली कगार पर खड़ा हुआ है। बोंगाईगांव असम में सबसे बड़ा शहर है, इंडस्ट्रियल बेल्ट बोलकर इसको माना जाता है, या फिर रेल का सबसे बड़ा स्टैब्लिशमेंट है या फिर तेल का सबसे बड़ा रिफाइनरी है, तो आप देखेंगे कि रेल का क्या है, 100-100 एकड़ रेलवे की जमीन खाली पड़ा हुआ है, कोच फैक्ट्री बनाने की बात अभी तक नहीं हुआ।”

(SOURCE PTI)

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