Lok Sabha Elections 2024: ईस्ट त्रिपुरा संसदीय क्षेत्र में मुख्य रूप से टीटीएएडीसी यानी त्रिपुरा ट्राइबल एरियाज ऑटोनमोस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के तहत आने वाले जनजातीय बहुल इलाके शामिल हैं। विकास, जनजातीय अधिकारों और राजनैतिक झुकाव जैसे मुद्दों से जूझ रहे इलाके के वोटर अहम लोकसभा चुनाव में वोट देने के लिए तैयार हैं।
सत्ताधारी बीजेपी पर दबदबा दिखाने की कोशिश
बता दें कि विपक्षी दल टिपरा मोथा और सत्ताधारी बीजेपी अपना दबदबा दिखाने के लिए पूरा जोर लगा रही है। अहम मुद्दों पर हर पार्टी का रूख वोटरों पर खास असर डालता है। इलाके का डेमोग्राफिक मेक-अप, बड़ी जनजातीय और गैर-जनजातीय आबादी ईस्ट त्रिपुरा निर्वाचन क्षेत्र में राजनैतिक समीकरण तय करने में अहम रोल निभाती है। जनजातीय वोटर मानते हैं कि वे हाशिए पर हैं और उन्हें भुला दिया गया है। माना जा रहा है कि वे राजघराने से जुड़े प्रद्योत किशोर देबबर्मा की पार्टी टिपरा मोथा के साथ हैं। देबबर्मा उनसे बार-बार अलग जनजातीय राज्य और उनकी समस्याओं के संवैधानिक समाधान का वादा करते रहे हैं।
बीजेपी की ओर गैर-जनजातीय वोटरों का झुकाव
वहीं सरकारी योजनाओं से मिल रहे फायदे और देश के भविष्य को लेकर लीडरशिप के विजन की वजह से गैर-जनजातीय वोटरों का झुकाव बीजेपी की ओर दिख रहा है। इलाके में सीपीआई (एम) और कांग्रेस जैसी पार्टियों का ज्यादा एक्टिव न होने से बीजेपी की पोजीशन ज्यादा मजबूत दिखती है।जनजातीय वोटर शांति, सांप्रदायिक सद्भाव सड़क, पानी और हेल्थकेयर जैसी बेहतर बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। वे इलाके में बढ़ती बेरोजगारी और बजट आवंटन में अपने इलाके को नजरअंदाज किए जाने से भी परेशान हैं।
बेहतर मौके की तलाश में हैं युवा
वोटरों का मानना है कि टीटीएएडीसी के बड़े क्षेत्र के लिए कम बजट दिए जाने से सही विकास होना मुश्किल है। उनके मुताबिक इसी वजह से युवा बेहतर मौकों की तलाश में पलायन कर रहे हैं। वहीं इलाके में रहने वाले गैर-जनजातीय लोग सरकारी स्कीमों और मुफ्त राशन जैसी सुविधाओं को बेहतरीन गवर्नेंस की मिसाल बता रहे हैं।
इलाके के विकास के लिए देना पड़ेगा वोट
मौजूदा लीडरशिप में उनका ये भरोसा देश के भविष्य से जुड़ी उनकी उम्मीदों को दिखाता है। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही जनजातीय वोटर मानने लगे हैं कि नौकरी हासिल करने और इलाके के विकास के लिए उनका वोट अहम है।
अब चुनाव नतीजे इस बात से तय होंगे कि राजनैतिक दल किस तरह से वोटरों की चिंताओं को दूर करते हैं और उनकी उम्मीदों पर कैसे खरे उतरते हैं। अटकलें लगाई जा रही हैं कि विपक्षी टिपरा मोथा बीजेपी के साथ गठबंधन कर सकता है या उसका समर्थन कर सकता है।
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धर्मनगर के निवासी ने किया सवाल
धर्मनगर के निवासी गौतम बुद्ध देबबर्मा ने कहा कि केंद्र में कई दलों की सरकारें आईं और गईं, लेकिन किसी भी सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी, क्यों? हम त्रिपुरा के मूल निवासी हैं, हम भी भारतीय हैं तो हमें वंचित क्यों रखा जाता है? संविधान के प्रावधान के तहत, हमें नागालैंड, शिलॉन्ग और मिजोरम जैसे संवैधानिक अधिकारों की मांग करने का अधिकार है और हमें मिलना चाहिए। कनिका रेयांग ने कहा कि हम शांतिपूर्ण और दंगा मुक्त त्रिपुरा चाहते हैं। हम चाहते हैं कि राज्य में सड़कें और पानी की सुविधा बेहतर हो।
नौकरी से वंचित युवा कर रहे हैं सुसाइड
धर्मनगर निवासी महिचरन का कहना है कि जो इंडिजिनस पीपुल है, वो बहुत सालों से बहुत जगह पर डिप्राइव्ड है, जैसे कि शिक्षा, एजुकेशन, जॉब्स, पानी, बिजली, जो सड़क है, बहुत सारे में डिप्राइव्ड है। कई जगहों पर पानी नहीं मिलता, कच्चा जो पानी है वो पीना पड़ता है। जो यूथ है वो जॉबलेस है, जॉबलेस होने की वजह से कहीं-कहीं पर बहुत सारे यूथ को बाहर के स्टेट में काम करना पड़ता है, वहां पर भी डिप्राइव्ड होने की वजह से आजकल बहुत सारे यूथ सुसाइड कर रहे हैं।