दिल्ली में एक बार फिर से उपराज्यपाल और चुनी सरकार आमने–सामने हैं। मसला किसान आंदोलन से जुड़े केस की सुनवाई के लिए वकीलों के पैनल के गठन का है।
शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई दिल्ली कैबिनेट की बैठक में एलजी के फैसले को खारिज कर तय किया कि दिल्ली सरकार के वकील ही किसान आंदोलन से जुड़े मामलों में दिल्ली सरकार के पक्ष रखेंगे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा कि…देश के किसान का साथ देना हर भारतीय का फ़र्ज़ है। हमने कोई एहसान नहीं किया, देश के किसान के प्रति अपना फ़र्ज़ निभाया है। किसान अपराधी नहीं है, आतंकवादी नहीं है। वो हमारा अन्नदाता है।
तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों पर 26 जनवरी हिंसा मामले में दर्ज केस की सुनवाई के लिए केजरीवाल सरकार ने वकीलों का पैनल बनाया था। जबकि उन्हीं मामलों की जांच कर रही दिल्ली पुलिस अपने वकीलों के पैनल की नियुक्ति की लेकिन दिल्ली के गृहमंत्री सत्येंद्र जैन ने दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव को खारिज कर सरकारी वकीलों के पैनल का प्रस्ताव एलजी के पास भेजा था जिसे एलजी ने मंजूरी नहीं दी। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल पर अपनी वीटो शक्तियों के दुरुपयोग के आरोप लगाए हैं।
नियम के मुताबिक दिल्ली कैबिनेट का प्रस्ताव भी मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के पास ही भेजा गया है, अब सवाल है कि उपराज्यपाल दिल्ली कैबिनेट के फैसले पर मुहर लगाएंगे या फाइल पुनर्विचार के लिए दुबारा दिल्ली सरकार के पास भेजी जाएगी।
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