मणिपुर हिंसा पीड़ितों के मुआवजा स्कीम में और सुधार करने की जरूरत – सुप्रीम कोर्ट 

(आवैस उस्मानी)-Manipur Violence- मणिपुर हिंसा से जुड़ा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मणिपुर हिंसा पीड़ितों के मुआवजा स्कीम में और सुधार करने की जरूरत है। मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त तीन रिटायर्ड महिला जजों की कमिटी ने सुप्रीम कोर्ट में 3 रिपोर्ट सौंपी। मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि तीन रिपोर्टें आई हैं। एक रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि मणिपुर के कई नागरिकों ने महत्वपूर्ण दस्तावेज़ खो दिए हैं। दूसरी मणिपुर पीड़ित मुआवजा योजना को अपग्रेड किया जा सकता है। और तीसरी रिपोर्ट में इन समस्याओं से संबंधित विशेषज्ञों की नियुक्ति हेतु समिति का प्रस्ताव आया है.Manipur Violence
मुख्य न्यायधीश ने सॉलिसिटर जनरल को रिपोर्ट देख कर सहयोग करने को कहा हैं। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में बॉम्बे हाईकोर्ट की रिटायर्ड जज जस्टिस शालिनी पी जोशी व दिल्ली हाईकोर्ट की पूर्व जज जस्टिस आशा मेनन शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी को हिंसाग्रस्त मणिपुर का दौरा कर वहाँ पीड़ितों को राहत और उनके पुनर्वास के लिए उठाए जा रहे कदमों का आकलन कर  रिपोर्ट देने का जिम्मा दिया था।

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सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि  पहली रिपोर्ट इसलिए है ताकि दस्तावेज जुटाए जा सके। दूसरी रिपोर्ट मणिपुर पीड़ित मुआवजा योजना के संबंध में है। उन्होंने कहा है कि NALSA योजना को ध्यान में रखते हुए मुआवजा योजना में सुधार करना होगा। CJI ने कहा कि कमेटी ने इस मुद्दे को महिलाओं के खिलाफ हिंसा, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल, चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल, राहत शिविर, डेटा रिपोर्टिंग और निगरानी में विभाजित कर दिया है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की वकील इंदिया जयसिंह ने कहा अदालत का आदेश देना चाहिए कि समिति जो भी काम कर रही है, उसकी फंडिंग   केन्द्र सरकार को करना चाहिए। मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आज हम याचिकाकर्ताओं के वकीलों को ये तीन रिपोर्टों की एक प्रति मुहैया करा देंगे और वह सुझावों पर शुक्रवार तक जवाब देने को कहा।

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