राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक आकांक्षाओं के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। महोन भागवत ईटानगर के पास नाहरलागुन में न्यीशी समुदाय के प्रतिष्ठित प्रार्थना केंद्र डोनयी पोलो न्येदर नामलो में गए और सामाजिक सद्भाव के साथ राष्ट्र निर्माण को बढ़ावा देने में आध्यात्मिक प्रथाओं की भूमिका पर बात की।
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डोनयी पोलो न्येदर नामलो में साप्ताहिक प्रार्थना आयोजित की जाती है। नामलो की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि भागवत ने पारंपरिक प्रार्थना समारोह में हिस्सा लिया। इसमें कहा गया है कि उन्होंने नामलो पुजारियों और श्रद्धालुओं के साथ बात की और अपनी परंपराओं की रक्षा के लिए उनके प्रयासों की तारीफ की।
बयान में कहा गया है, ‘‘भागवत ने आधुनिक आकांक्षाओं के साथ सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के बीच संतुलन बनाने के महत्व को भी बताया और इस बात पर जोर दिया कि डोनयी पोलो न्येदर नामलो जैसी आध्यात्मिक प्रथाएं राष्ट्र निर्माण के हमारे साझा लक्ष्य की दिशा में सामाजिक सद्भाव को मजबूत करने के लिए आवश्यक हैं।’’ इसमें कहा गया कि उनकी यात्रा ने इन प्राचीन परंपराओं के संरक्षण के महत्व और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका की पुष्टि की।
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भागवत की अरुणाचल प्रदेश की चार दिवसीय यात्रा का ये आखिरी कार्यक्रम था। यात्रा के दौरान उन्होंने दो दिवसीय आरएसएस कार्यकर्ता शिविर में हिस्सा लिया, जिसमें राज्यभर से संगठन के सदस्य शामिल हुए। उनकी अरुणाचल प्रदेश की यात्रा गुवाहाटी में पांच दिवसीय कार्यक्रम के बाद हुई है। अरुणाचल प्रदेश का दौरा समाप्त कर भागवत शताब्दी वर्ष से संबंधित अन्य कार्यक्रमों के लिए गुवाहाटी लौटेंगे। इस साल विजयदशमी पर आरएसएस के 100 साल पूरे होंगे और इस मौके पर देशभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा।
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